= लगातार बढ़ते नुकसान से किसान परेशान
= कई काश्तकारों ने खेती छोड़ी
= लोगों ने उठाई बारहसिंघा के आतंक से निजात दिलाए जाने की मांग

(((कुबेर सिंह जीना/भाष्कर आर्या/दीपू लटवाल की रिपोर्ट)))

जंगली सूअर, खरगोश व गुलदार के आतंक के बाद अब गांवों में बारहसिंघा का आतंक बढ़ गया है। रामगढ़ ब्लॉक के सुदूर ल्वेशाल गांव में बारहासिंघा काश्तकारों के लिए मुसीबत बन चुका है। लगातार खेती भी चौपट हो रही है। ग्रामीणों ने तत्काल बारहसिंघा के आतंक से निजात दिलाए जाने की मांग उठाई है।
ल्वेशाल गांव में करीब तीस से ज्यादा परिवार खेती-बाड़ी से गुजर बसर करते हैं। गांव में मटर, टमाटर, आलू, शिमला व हरी मिर्च की खेती होती है पर बारहसिंघा गांव की खेती के लिए अभिशाप बन चुका है। लगातार खेती चौपट होती जा रही है। बारहसिंघा खेतों को रौद रहा है। ग्रामीणों के लिए भी खतरा बना हुआ है। परेशान होकर कई परिवारों ने खेती ही छोड़ दी है। आर्थिक स्थिति भी बिगड़ती जा रही है। स्थानीय महिला किसान दीपा देवी, हेम तिवारी, नवीन पांडे, जगदीश जोशी, देवी दत्त आदि के अनुसार बारहसिंघा लगातार किसानों को नुकसान पहुंचा रहा है जिससे किसान परेशान हैं। ग्रामीणों ने तत्काल बारहसिंघा के आतंक से निजात दिलाए जाने की पुरजोर मांग उठाई है।