= बिजली ना पानी यह कैसा अस्पताल
= सुविधाएं न होने से मरीज व तमीरदार परेशान
= चिकित्सक व स्टाफ भी झेलते हैं परेशानी
= समुचित स्टाफ की भी तैनाती की उठाई मांग
(((विरेन्द्र बिष्ट/हरीश चंद्र/दलिप सिंह नेगी की रिपोर्ट)))
सरकार व उसके कारिंदे सुदूर गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करने के लाख दावे करें पर धरातल में दावे खोखले साबित हो रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधाएं तो दूर गांव में स्थित अस्पताल बिजली तथा पानी तक के लिए तरस रहा है।राजकीय प्राथमिक चिकित्सालय टाइप ए बांज पाथरी ऐसी ही हकीकत बयां कर रहा है।
गांव में स्थित अस्पतालों के हाल भी अजब-गजब है। रामगढ़ ब्लॉक के बांज पाथरी गांव में स्थित प्राथमिक चिकित्सालय टाइप ए के तमाम गांवो के लिए संजीवनी हैं। आसपास के गांवों के सैकड़ों लोग यहां उपचार को पहुंचते हैं पर अस्पताल में हालात एकदम उलट हैं। पिछले दो वर्षों से गांव में विद्युत व्यवस्था चौपट है। पानी भी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में अस्पताल में पहुंचने वाले मरीज व तमीरदार परेशान हो जाते हैं। अस्पताल स्टाफ को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दोवर्ष पूर्व आकाशीय बिजली से अस्पताल की विद्युत व्यवस्था चरमरा गई तब से किसी ने भी सुध नहीं ली है। आरोप है कि समुचित स्टाफ न होने से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा का भी लाभ नहीं मिल रहा जबकि अस्पताल तमाम गांवों के मध्य में स्थित है। ऐसे में ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए दूरदराज जाना मजबूरी बन चुका है जिसमें काफी समय वह पैसे की भी बर्बादी होती है। लोगो ने अस्पताल में व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की पुरजोर मांग उठाई है। दो टूक चेतावनी दी है कि यदि जल्द समुचित स्टाफ व व्यवस्था में सुधार न हुआ तो फिर आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी।