= पहाड़ी का जापानी विशेषज्ञो ने किया निरीक्षण
= कार्यदाई संस्था के इंजीनियरों को दिए विभिन्न दिशा निर्देश
= 21 करोड़ रुपये की लागत से शुरू होगा खतरा टालने का कार्य

(((विरेन्द्र बिष्ट/हरीश चंद्र/दलिप सिंह नेगी की रिपोर्ट)))

अल्मोडा भवाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर पाडली क्षेत्र में पहाड़ी के उपचार को जापानी तकनीक से होने वाले कार्य में तेजी आ गई है। इसके लिए बकायदा जापान से पहुंचे विशेषज्ञों की टीम ने पहाड़ी से खतरा टालने को होने वाले कार्यों के लिए बने मानचित्र का स्थलीय निरीक्षण किया। कार्यदाई संस्था के इंजीनियरों को विभिन्न दिशा निर्देश भी दिए। पहले हाईवे का एलाइनमेंट बदलने का कार्य शुरू करने के बाद खतरनाक हो चुकी पहाड़ी पर विशेष तकनीक से कार्य शुरू करने के निर्देश दिए।
लंबे समय से कुमाऊं की लाइफ लाइन पर पाडली की खतरनाक हो चुकी पहाड़ी से खतरा टालने की कवायद अंतिम चरण में पहुंच गई है। जायका विभाग के तत्वाधान में होने वाले कार्य के निरीक्षण को जापान से दो विशेषज्ञों का दल पाडली क्षेत्र पहुंचा। जापानी विशेषज्ञों ने कार्यदाई संस्था बुमी जियो टैग कंपनी के इंजीनियरों के साथ मिल पहाड़ी पर होने वाले सुरक्षा कार्य को तैयार मानचित्र का स्थलीय निरीक्षण किया। कुछ स्थानों पर बदलाव के निर्देश दिज। जापानी विशेषज्ञो के निर्देश पर कार्यदाई संस्था के इंजीनियरों ने पहले हाईवे का एलाइनमेंट बदलने का निर्णय लिया है ताकि हाईवे पर आवाजाही सुचारू रहे। करीब 21 करोड़ रुपये की लागत से पहाड़ी पर सुरक्षा के कार्य किए जाने हैं। जापानी विशेषज्ञ से मिले दिशा निर्देश के बाद अब कार्य में तेजी आ जाएगी। इस दौरान जापानी विशेषज्ञ यासू लिजमा, ओकी सानू तथा त्रिभुवन सिंह राणा जबकि कार्यदाई संस्था के एसएम खान, राजेश कुमार, साहिल कुमार आदि मौजूद रहे।

जापानी विशेषज्ञों की देखरेख में होंगे कार्य

कुमाऊ की लाइफ लाइन पर पाडली क्षेत्र में खतरनाक हो चुकी पहाड़ी के उपचार को पिछले दो वर्षों से मंथन का दौर चला। जापानी विशेषज्ञ व भारतीय इंजीनियरों तथा एनएच के अधिकारियों व कार्यदाई संस्था के इंजीनियरों की कई दौर की बैठकों के बाद काफी हद तक तस्वीर साफ हो गई पर ठीक समय पर कोरोना ने रास्ता रोक लिया अब एक बार फिर पहाड़ी पर सुरक्षा कार्य शुरू होने की उम्मीद जगी है। हाईवे 125 मीटर लंबाई में एलाइनमेंट बदलने का कार्य कुछ दिनों में शुरू हो जाएगा। खास बात यह है कि कार्य जापानी विशेषज्ञों की देखरेख में ही होंगे। कार्यदाई संस्था के इंजीनियरों ने दावा किया है कि समय रहते कार्य पूरा कर लिया जाएगा।