= लगातार आवाज उठाए जाने के बावजूद सुनवाई ना होने पर चढ़ा पारा
= गांव के पैदल रास्ते भी बंद, शवदाह के लिए भी नापनी पड़ रही दस किमी अतिरिक्त दूरी
(((कुबेर सिंह जीना/दलिप सिंह नेगी/विरेन्द्र बिष्ट की रिपोर्ट)))
सिरसा गांव को जोड़ने वाली सड़क के छह वर्ष बाद भी गांव तक न पहुंच पाने पर आखिरकार ग्रामीणों का सब्र जवाब दे गया। सड़क ना पहुंचने से गांवों में बर्बाद हो रही उपज को राजमार्ग पर फेंक विरोध जताया। उपेक्षा पर आंदोलन और तेज करने की चेतावनी भी दी
वर्ष 2015 में करीब सत्तर लाख रुपये की भारी-भरकम लागत से अल्मोड़ा भवाली राजमार्ग से करीब सौ से ज्यादा परिवारों के सिरसा गांव को राजमार्ग से जोड़ने के लिए 1.75 किमी रोड स्वीकृत हुई पर लगातार अनदेखी और लापरवाही से छह वर्ष बीतने के बावजूद आज तक रोड गांव तक नहीं पहुंच सकी है। अभी भी सड़क गांव से करीब आठ सौ मीटर दूर है। ग्रामीणों कई बार आवाज उठा चुके हैं और कोई सुनवाई नहीं हो रही। आखिरकार बुधवार को किसानो का पारा चढ़ गया। ग्राम प्रधान इंदु जीना के नेतृत्व में काश्तकारों ने गांव में बर्बाद हो रही उपज को हाईवे पर फेंक विरोध जताया। कहा की गांव तक सड़क निर्माण तो आज तक पूरा नहीं हो सका। गांव के पैदल रास्ते तक बंद हो चुके हैं जिस कारण उपज गांवों में ही बर्बाद हो रही है। किसी की मृत्यु होने पर अंत्येष्टि के लिए दस किमी अतिरिक्त दूरी तय कर श्मशान घाट जाना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने विभागीय उपेक्षा पर रोष जताया। इस दौरान शोभा जीना, मंजू जीना, नंदी देवी, खष्टी देवी, बबीता, पार्वती देवी, राधिका देवी, विपिन गुरुरानी, नवीन चंद, महेश तिवारी, राजेंद्र सिंह, आनंद सिंह, नारायण सिंह, खुशाल सिंह, गोपाल सिंह, मनोज कुमार, किसन राम, हीरा लाल, रमेश बिष्ट आदि मौजूद रहे।