= फरियादी फरियाद लेकर पहुंच रहे, झाड़ियों देख लौट रहे वापस
= पटवारी चौकी मझेडा़ चारों ओर से झाड़ियों से पटी
= सरकारी भवन उपेक्षा से बदहाल
(((भाष्कर आर्या/महेन्द्र कनवाल/कुबेर सिंह जीना की रिपोर्ट)))
पर्वतीय क्षेत्रों में सरकारी भवनो के हाल भी अजब-गजब हैं। लाखों करोड़ों की लागत से भवन तैयार कर लिए जाते हैं पर उपेक्षा की मार से भवन बदहाल होते जा रहे हैं। मझेडा़ ग्राम पंचायत में स्थित पटवारी चौकी इसका जीता जागता उदाहरण है।
सरस्वती शिशु मंदिर के समीप पटवारी चौकी झाड़ियों से पटी पड़ी है। झाड़ियां ही इसकी पहरेदार बन गई है। कानून के रखवाले पटवारी चौकी की सुध लेने को तैयार नहीं है। बड़ी बड़ी झाड़ियां व घास फरियादियों के इंतजार में है। बदहाली का दंश झेल रही पटवारी चौकी की सुध न लेने से बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। लाखों करोड़ों रुपयो की लागत से पटवारी चौकिया तैयार की गई पर विभागीय अनदेखी से अब बदहाली के आंसू बहा रही है। कभी लोग पटवारी चौकियों में कार्य कराने पहुंचते थे पर अब विरान पटवारी चौकिया फरियादियों के इंतजार में है। खास बात यह है कि लाखों की लागत से बनाई गई पटवारी चौकियों के आसपास साफ साफ सफाई की भी जहमत नहीं उठाई जा रही।