= दो वर्ष कोरोना संकट ने पहुंचाया नुकसान
= कभी बारिश न होने तो कभी मुसलाधार बारिश से खेती हो रही प्रभावित
= लगातार उठ रही किसानों को मुआवजे की मांग
(((सुनील मेहरा/मनीष कर्नाटक/अंकित सुयाल की रिपोर्ट)))
पर्वतीय क्षेत्र के कास्तकार लगातार नुकसान पर नुकसान उठा रहे हैं। कभी बारिश न होने तो कभी मूसलाधार बारिश किसानों के लिए मुसीबत का सबक बन गई है। पूर्व में तमाम फसलें प्रभावित होने के बाद अब पूर्व में तमाम फसले प्रभावित होने के बाद अब अदरक की उपज चौपट हो गई हैं। लोगों ने किसानों को मुआवजा दिए जाने की पुरजोर मांग की है।
पिछले दो वर्षो में लगातार कोरोना संकट के चलते नुकसान होने के बाद सब कुछ ठीक होने की उम्मीद ले किसानों ने वापस खेतों की ओर रुख किया। हाड़तोड़ मेहनत भी की पर ठीक समय पर बारिश ना होने से मेहनत बेकार हो गई। बैंकों से ऋण लेकर तक किसान खेतीबाड़ी को उतरे तो मूसलाधार बारिश ने कई फसलें चौपट कर दी। बीते दिनों ही रानीखेत खैरना स्टेट हाईवे से सटे पातली, बजोल, बजीना, बोहरागांव, टूनाकोट, मंडलकोट, तिपौला आदि तमाम गांवो में गोभी की फसल में कीड़ा लगने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा। अब टूनाकोट गांव में बारिश से अदरक की उपज बेकार हो गई है जिससे किसान परेशान है। गांव के मदन सिंह, खड़क सिंह, हरवंश सिंह, पूरन, गोपाल सिंह, खुशाल सिंह, गोपाल, प्रताप सिंह, रघुवर सिंह आदि किसानों की अदरक की उपज को काफी नुकसान हुआ है। लगातार हो रहे नुकसान से अब किसानों का खेतीबाड़ी से मोह भंग होने लगा है। क्षेत्रवासियों ने किसानों को उपज का मुआवजा दिए जाने की मांग उठाई है।