= बड़े-बड़े होल्डिंग के जरिए चेहरा दिखाने की लगी होड़
= भाग्य आजमाने को कई दौड़ में
= जो नहीं दिखे आज तक वे भी होल्डिंग्स के जरिए बना रहे जगह
(((कुबेर सिंह जीना/महेंद्र कनवाल/हरीश कुमार की रिपोर्ट)))
राजनीति का खेल भी अजब गजब है। विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही सत्ता के गलियारों में भी शोर-शराबा शुरू हो जाता है। जोड़-तोड़ की राजनीति व मतदाता को अपने पक्ष में करने की जद्दोजहद शुरू होती है पर इस बार माहौल कुछ अलग है लोगों तक पहुंच बनाने के लिए बड़े-बड़े होल्डिंग का सहारा लिया जा रहा है। गांव की समस्याओं से कोई रूबरू हो ना हो पर होल्डिंग्स में बधाइयों का दौर जारी हो गया है। कई नए चेहरे भी विधायकी की दौड़ में शामिल होने की तैयारी में है।
विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने में हालांकि अभी कुछ समय पर विधायकी की चाहत रखने वाले लोगों ने चहल कदमी शुरू कर दी है। खैरना बाजार से कुछ आगे बढ़ते ही रानीखेत रोड पर कई बड़े-बड़े होल्डिंग दावेदारो की तस्वीर साफ कर रहे हैं। कई नए नवेले चेहरे भी सामने दिखाई दे रहे हैं। विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही अब नेताओं को मतदाताओं की याद भी आने लगी है। गांव गांव पहुंच बनाने का रोडमैप तैयार होने लगा है। होल्डिंग के जरिए लोगों को चेहरा दिखाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। रानीखेत रोड पर लगे होल्डिंग्स दावेदारों की संख्या बता रहे हैं। हालांकि विधायक एक ही बनेगा पर लगातार दावेदार सामने आते जा रहे हैं। इस बार कई नए चेहरे भी सामने हैं। गांव के लोगों का कहना है कि गांव की समस्याओं से किसी को लेना देना नहीं है। सड़कें बदहाल हो चुकी हैं कई जगह पेयजल संकट है। स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल है पर इसके उलट बधाइयों का दौर जारी है। देखना रोचक होगा कि जनता किसे ताज पहनाती है।
राज्य गठन के बाद भी सवाल जस के तस
राज्य आंदोलनकारियों ने जिन सपनों के साथ प्रथक उत्तराखंड राज्य की मांग उठाई शायद वह सपने आज तक पूरे ना हो सके। प्रदेश के गांवों में आज भी सुविधाओं का अकाल है। बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। कई गांव सड़क सुविधा विहीन है जहां सड़कें हैं वह भी खस्ताहाल है। बेरोजगारी एक बड़ा संकट है। राज्य गठन को 21 वर्ष बीत जाने के बावजूद आज भी सवाल जस के तस बने हुए हैं। ग्रामीणों ने साफ कहा है कि वोट की चाहत में पहुंचने वाले नेताओं से इस बार सवालों का जवाब जरूर मांगा जाएगा।