🔳 हाईवे से सटे तमाम गांवों का जल स्रोत गर्मी से पहले तोड़ गया दम
🔳 गांवों में बोरिंग भी पहुंचा रही जल स्रोतों को नुकसान
🔳 ब्यासी क्षेत्र में बोरिंग की सुगबुगाहट से ग्रामीणों में रोष
🔳 भूमाफिया व बिल्डरों की सांठगांठ का खामियाजा भुगत रहे गांवों के लोग
🔳 बोरिंग की अनुमति पर सख्ती से रोक लगाने की उठी मांग
[[[[[[[[[[[[[ टीम तीखी नजर की रिपोर्ट ]]]]]]]]]]]]
गांवों में बाहरी बिल्डरों के बेतहाशा निर्माण कार्यों से प्राकृतिक जल स्रोत पर असर दिखने लगा है। अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे से सटे तमाम गांवों में गर्मी की शुरुआत में ही जल स्रोत दम तोड़ गए हैं। गांव के लोगों ने इसे बेतरतीब निर्माण के साथ बोरिंग को जिम्मेदार ठहराया है। ब्यासी क्षेत्र में बोरिंग किए जाने की सुगबुगाहट पर नाराजगी जताई है। प्रशासन से गांवों में किसी भी बिल्डर को बोरिंग की अनुमति न देने की मांग है। मनमानी पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
हाईवे से सटे गांवों में पिछले कुछ समय से बाहरी बिल्डरों की घुसपैठ बढ़ गई है। भूमाफिया बिल्डरों से गठजोड़ कर गांव के भोले-भाले लोगों को लालच देकर उनकी जमीनों को ओने पौने दामों में खरीद उन पर रिजोर्ट व व्यवसायिक गतिविधियां संचालित कर रहे हैं। बेतरतीब निर्माण होने से गांवो में पेयजल संकट भी गहराने लगा है। मझेडा़, डोबा, चूवारी समेत के तमाम गांवों के लोगों की प्यास बुझाने वाला जल भी सूख चुका है। प्राकृतिक जल स्रोत के सूखने से गांवों के लोग परेशान है। स्थानीय दीपक सिंह बिष्ट, बालम सिंह के अनुसार स्रोत के उपरी हिस्से में बेतहाशा निर्माण कार्यों का सीधा असर जल स्रोत पर पड़ा है। स्रोत के सूखने से गर्मीयों में हालात बिगड़ने का अंदेशा भी है। क्षेत्रिय जन विकास संघर्ष समिति उपाध्यक्ष विरेन्द्र सिंह ने आरोप लगाया की बिल्डर गांवों में बोरिंग कर रहे हैं जिससे हालात बिगड़ रहे हैं। लोगों को लालच देकर बोरिंग की अनुमति के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर कराए जा रहे हैं। दो टूक कहा की बोरिंग की अनुमति पर रोक लगाने की मांग उठाई। दो टूक चेतावनी दी की यदि अब बोरिंग की अनुमति दी गई तो गांवों के लोगों को साथ लेकर आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी।