= विभागीय उपेक्षा पर चढ़ा क्षेत्रवासियों का पारा
= बारिश में कक्षा कक्ष बन जाते हैं तालाब
= जल्द व्यवस्था दुरुस्त ना करने पर आंदोलन का ऐलान
(((विरेंद्र बिष्ट/फिरोज अहमद/सुनील मेहरा की रिपोर्ट)))
पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा के मंदिरों की हालत दयनीय है। कहीं शौचालय व पेयजल नहीं तो कहीं भवन धराशाई होने के कगार पर हैं। नौनिहालो व शिक्षको की जान जोखिम में है बावजूद कोई सुध लेवा नहीं है। लोगो ने उपेक्षा पर रोष जताया। दो टूक चेतावनी दी है कि यदि जल्द सुध नहीं ली गई तो सड़क पर उतर आंदोलन किया जाऐगा।
अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर खैरना क्षेत्र में राजकीय प्राथमिक विद्यालय की हालत दयनीय हो चुकी है। कक्षा कक्ष की छत गिरने को तैयार है पर कोई सुध लेवा ही नहीं है। हालांकि लंबे समय से विद्यालय बंद है पर अब शिक्षको का विद्यालय पहुंचना शुरू हो गया है। ऐसे में कभी भी कोई बड़ा हादसा सामने आ सकता है। लोगों की माने तो यह स्थिति तीन-चार वर्षों से हैं नौनिहाल जान जोखिम में डाल बुनियादी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि शिक्षा विभाग की ऐसी उपेक्षा आज तक कहीं नहीं देखी गई। दरक रही छत से बारिश का पानी कक्षा कक्षों के अंदर भर जा रहा है। बावजूद कोई सुध नहीं ले रहा। दावे बड़े-बड़े किए जाते हैं पर हकीकत में खोखले साबित हो रहे हैं। यही विद्यालय विधानसभा, लोकसभा तथा पंचायत चुनाव में मतदान केंद्र भी है यही निर्वाचन कर्मचारी ड्यूटी निभाते हैं पर खतरा लगातार बना हुआ है। प्रांतीय नगर उद्योग व्यापार मंडल प्रदेश उपाध्यक्ष पूरन लाल साह, महिपाल बिष्ट, महेंद्र सिंह, गजेंद्र नेगी,राकेश जलाल आदि ने व्यवस्था में सुधार की मांग उठाई है। दो टूक चेतावनी दी है कि यदि उपेक्षा की गई तो संबंधित विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया जाऐगा।