🔳 बेतालघाट ब्लॉक के गांवों में पहली बार इस विधी से होगी सिंचाई
🔳 बागानों व नर्सरियों में पौधों को मिल सकेगा समुचित पानी
🔳 अत्याधुनिक तकनीक से रुकेगी पानी की अनावश्यक बर्बादी
🔳 चाय विकास बोर्ड ने पहले चरण में दो हेक्टेयर क्षेत्रफल किया चिह्नित
🔳 उत्पादन बढ़ाने को चाय विकास बोर्ड ने शुरु की कवायद
[[[[[[[[[ टीम तीखी नजर की रिपोर्ट ]]]]]]]]]

बेतालघाट ब्लॉक के गांवों में स्थित उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड के बागानों व नर्सरियों में सिंचाई के लिए अब हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। विभाग ने अलग अलग गांवो में करीब दो हेक्टेयर क्षेत्रफल में सिंचाई को स्प्रिंगकलर यानि की फब्बारे वाले पाइप पहुंचाना शुरु कर दिया है। स्प्रिंगकलर से पौधों को समुचित पानी मिल सकेगा वहीं नर्सरी बागान के पूरे हिस्से तक सिंचाई का पानी पहुंचाया जा सकेगा। चाय विकास बोर्ड घोड़ाखाल के प्रबंधक नवीन पांडे के अनुसार जल्द ही स्प्रिंगकलर स्थापित कर दिए जाएंगे।
प्रदेश चाय उत्पादन के क्षेत्र में विशेष पहचान बना रहा है। बेहतर उत्पादन के लिए चार विकास बोर्ड के अधिकारी भी गंभीरता से कदम उठा रहे हैं। जहां एक ओर एक के बाद एक नर्सरियां स्थापित कर किसानों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है वहीं बोर्ड की आय में भी बढ़ोतरी हो रही है। चाय विकास बोर्ड ने अब गांवों में स्थित नर्सरियों व बागानों को बेहतर ढंग से सिंचित करने को हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल भी शुरु कर दिया है। बेतालघाट ब्लॉक में पहली बार बोर्ड इस तकनीक से नर्सरियों व बागानों में चाय के पौधों तक पानी पहुंचाएगा। स्प्रिंगकलर तकनीक से नर्सरी व बागानों में सिंचाई के लिए बोर्ड ने बकायदा पाइप भी पहुंचा दिए हैं। स्प्रिंगकलर तकनीक से चाय के पौधों तक फब्बारे के रुप में पानी पहुंचाया जाएगा। इस तकनीक से जहां पौधों को समुचित रुप से पानी मिल सकेगा वहीं पानी की अनावश्यक बर्बादी को भी रोका जा सकेगा। पहले चरण में बेतालघाट ब्लॉक के विभिन्न गांवों में करीब दो हेक्टेयर क्षेत्रफल में स्प्रिंगकलर सिंचाई विधी अपनाई जाएगी। चाय विकास बोर्ड घोड़ाखाल के प्रबंधक नवीन पांडे के अनुसार बेतालघाट में पहली बार स्प्रिंगकलर विधि से बागानों व नर्सरियों को सिंचित किया जाएगा। प्रयास किया जा रहा है की जल्द ही हाइटेक विधी से सिंचाई शुरु की जा सके।

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