🔳 पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने से नहीं हो पा रही खुली बैठकें
🔳 खुली बैठक में प्रस्ताव तैयार होने के बाद ही पात्रों को पेंशन की स्वीकृति का प्रावधान
🔳 नियमों के आड़े आने से वृद्धावस्था, विधवा व दिव्यांग पेंशन के पात्र परेशान
🔳 नई पेंशन स्वीकृत न होने पर ग्राम प्रधान संगठन के प्रदेश सचिव ने जताई नाराजगी
🔳 पंचायतों को बैठकों का अधिकार देने की उठाई पुरजोर मांग
[[[[[[[[ टीम तीखी नजर की रिपोर्ट ]]]]]]]]]]
ग्राम पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने के बाद प्रधानों को प्रशासकों का जिम्मा तो सौंप दिया गया है पर गांव की खुली बैठकों पर रोक होने से कई लोग वृद्धावस्था, दिव्यांग व विधवा पेंशन से वंचित हो गए है। योजना के दायरे में आने वाले नए पात्र पेंशन के लिए दर दर भटकने को मजबूर हो गए हैं। नवंबर के बाद पेंशन के दायरे में आने वाले पात्रों को पेंशन के लिए हो रही परेशानी पर ग्राम प्रधान संगठन के प्रदेश सचिव शेखर दानी ने नाराजगी जताई है।
प्रदेश में ग्राम पंचायतों का कार्यकाल बीते नवंबर में समाप्त हो गया है। सरकार ने चुनावों तक ग्राम प्रधानों को ही प्रशासक का जिम्मा सौंप दिया है। विकास कार्य प्रभावित होने पर सरकार ने कुछ दिनों पूर्व ही प्रशासकों को विशेष शर्तों के साथ वित्तीय अधिकार दे दिए हैं। वित्तीय अधिकार मिलने से कुछ हद तक राहत तो मिल गई है पर गांवों की खुली बैठकों पर रोक होने से नवंबर के बाद वृद्धावस्था, दिव्यांग व विधवा पेंशन की श्रेणी में आने वाले नए पात्रों के आगे बड़ा संकट खड़ा हो गया है। नियमानुसार ग्राम पंचायत की खुली बैठक में पेंशन के प्रस्ताव तैयार कर समाज कल्याण विभाग को भेजें जाने का प्रावधान है पर खुली बैठक न होने से पात्रों के प्रस्ताव ही तैयार नहीं हो पा रहे हैं। पेंशन के लिए पात्र दर दर की ठोकर खाने को मजबूर हो चुके हैं। निवर्तमान ग्राम प्रधान मल्ली पाली व ग्राम प्रधान संगठन के प्रदेश सचिव शेखर दानी के अनुसार उनकी खुद की पंचायत में ही ऐसे दस से ज्यादा मामले लंबित हो गए हैं। पूरे ब्लॉक की सभी पंचायतों में भी दर्जनों मामले होने का अंदेशा जताया है। आरोप लगाया की पात्रों के हितों पर नियम भारी पड़ रहे हैं। उन्होंने पंचायतों में बैठकों की स्वीकृति देने अथवा किसी अन्य व्यवस्था के तहत पात्रों के प्रस्ताव तैयार किए जाने की पुरजोर मांग उठाई है। इंदु जीना, कुबेर सिंह जीना, विरेन्द्र सिंह, मनोज बिष्ट, शिवराज सिंह, कुन्दन सिंह, पंकज नेगी आदि ने भी मांग को जायज ठहराया है। जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल के अनुसार पंचायत की बैठक से प्रस्ताव तैयार होने के बाद ही पात्रों को पेंशन स्वीकृत करने का प्रावधान है।एबीडीओ बेतालघाट विनोद कुमार के अनुसार फिलहाल बैठकों पर रोक है। उच्चाधिकारियों से दिशा निर्देश मिलने के बाद ही आगे कदम उठाए जाएंगे।