water-problem

कई परिवारों ने छोड़ दिया गांव
बेड़गांव में पेयजल संकट से विकट है हालात

गरमपानी : राज्य आंदोलनकारियों ने जो सपने बुने वह आज तक पूरे ही ना हो सके। पहाड़ का पानी व जवानी के दावे धरातल में खोखले हो चुके है। दोनों ही अब गांवो से दूर होते जा रहे हैं। हालात इतने विकट हो चुके हैं कि पानी की बूंदबूंद को गांव के लोग तरस रहे हैं। पेयजल संकट के चलते ग्रामीण ने अपनी बेटियों की शादी तक गांव में करना छोड़ दिया है। ग्रामीण मंदिरों से वैवाहिक कार्यक्रम करने को मजबूर है।

बेहतर सुख-सुविधाओं की उम्मीद के साथ प्रदेश वासियों ने पृथक उत्तराखंड राज्य की पुरजोर मांग उठाई। सुख सुविधाएं तो छोड़िए गांव के बाशिंदे मूलभूत जरूरतों के लिए ही तरस रहे हैं। अल्मोड़ा भवाली राजमार्ग से सटे बेड़गांव में ग्रामीण बूंद-बूंद पानी को तरस गए हैं। गांव के फलदा तोक के करीब बीस से ज्यादा परिवार परेशान है। गांव से करीब दो किमी दूर खाईधार व पनेरा प्राकृतिक जल स्रोत से पानी ढोने को मजबूर है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अब ग्रामीणों ने अपनी बेटियों की शादी गांव से करनी ही छोड़ दी है। पेयजल संकट के चलते स्थानीय डूंगर सिंह, आनंद सिंह, नारायण सिंह, कुंदन बेलवाल ने अपनी बेटियों की शादी मजबूरी में गांव से करीब पचास किमी दूर घोड़ाखाल(भवाली) मंदिर जाकर की। आवाजाही में ही काफी पैसे की बर्बादी हुई। पानी ना मिलने से कई परिवार भी गांव छोड़ चुके हैं। ग्रामीणों की माने तो धार्मिक कार्यो में भी पानी की व्यवस्था बड़ा सरदर्द बन जाती है। गांव को बेड़गाव पेयजल योजना से आपूर्ति की जाती है पर समुचित मानी ना मिलने से ग्रामीण आक्रोशित हो उठे हैं। ग्रामीणों ने संबंधित विभाग पर भी गांव की उपेक्षा का आरोप लगाया है। ग्रामीण अब आंदोलन का मन बनाने लगे हैं। गांव की सावित्री बेलवाल, हेमंती बेलवाल, रमा बेलवाल, मोहिनी देवी, मुन्नी देवी, बचुली देवी, शांति बेलवाल आदि महिलाओं ने दो टूक चेतावनी दी है कि यदि पेयजल आपूर्ति दुरुस्त नहीं की गई तो अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन किया जाएगा।