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= संगम तट तक पहुंचने वाला रास्ता बदहाल
= जगह-जगह गंदगी से उठ रही दुर्गंध
= शवदाह को आने वाले लोगों को भी हो रही परेशानी
= रास्ते में बड़ी-बड़ी झाड़ियां व विश्राम गृह भी खस्ताहाल

(((फिरोज अहमद/पंकज नेगी/राजू लटवाल की रिपोर्ट)))

उत्तरवाहिनी शिप्रा व कोसी नदी के संगम तट पर तमाम गांवों के लोग शवदाह को पहुंचते हैं पर शवदाह स्थल तक पहुंचने वाला रास्ता बदहाल हो चुका है। लोगों को आवाजाही में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लोगों ने रास्ते के मरम्मत के साथ ही व्यवस्थाएं चाक-चौबंद करने की मांग उठाई है।
खैरना स्थित उत्तरवाहिनी शिप्रा व कोसी नदी के संगम का अपना अलग महत्व है। गरमपानी खैरना ही नहीं बल्कि आसपास के तमाम गांव के लोग शवदाह को संगम तट पर पहुंचते हैं। तमाम गांवों के लोग पूजा-पाठ पाठ के लिए भी संगम पर आते हैं पर संगम तट पर पहुंचने वाला रास्ता बदहाली का दंश झेल रहा है। बड़ी बड़ी झाड़ियां तथा उबड़ खाबड़ रास्ता परेशानी का सबब बना हुआ है। वही रास्ते के आसपास बिखरी गंदगी से उठ रही दुर्गंध से हालात बिगड़ रहे हैं। कई बार व्यवस्था में सुधार की मांग उठाई जा चुकी है पर कोई सुनवाई नहीं हो रही जिम्मेदार भी आंखें मूंदे बैठे हैं। लोगों को आवाजाही में परेशानी झेलनी पड़ रही है। शवदाह स्थल को जाने वाला रास्ता ही दुरुस्त नहीं है। वर्षों पूर्व बनाया गया विश्राम गृह भी बदतर हालत में है। व्यवस्थाएं जिम्मेदारों की लापरवाही की हकीकत बयां कर रही है। बड़े-बड़े दावों की यहां पोल खुल रही है।