🔳 डेढ़ लाख रुपये की धनराशि जमा करने के बावजूद नहीं टपक रही पानी की बूंद
🔳 छह महीने में कई फसलें प्रभावित होने से मायूस हो चुके किसान
🔳 किसान ने फाउंडेशन के कर्मचारियों पर लगाया महज झूठे आश्वासन देने का आरोप
🔳 जल्द आपूर्ति सुचारु न होने पर दे डाली आंदोलन की चेतावनी
🔳 लोहे के पाइप के उलट प्लास्टिक के पाइप बिछाने पर जताई नाराजगी
[[[[[[[ टीम तीखी नजर की रिपोर्ट ]]]]]]]]

कोसी घाटी के धरतीपुत्र लगातार ठगे जा रहे है‌। सिंचाई नहरों के ध्वस्त होने के बाद सहगल फाउंडेशन नाम की संस्था ने सोलर पंपिंग योजना के जरिए सिंचाई का पानी खेतों तक पहुंचाने का भरोसा दिलाया। करीब डेढ़ लाख रुपये की धनराशि भी जमा करवा ली पर छह महीने का समय बीतने के बावजूद आज तक जलापूर्ति शुरु नहीं हो सकी है। सिंचाई के पानी के अभाव में फसलों के चौपट होने पर किसानों ने नाराजगी जताई है।
बेतालघाट ब्लॉक के गांवों में किसान सिंचाई के पानी की बूंद बूंद को तरस रहे हैं। पिछले चार वर्ष से सिंचाई नहरों के ध्वस्त पड़े होने से खेत बंजर हो चुके हैं। लंबे समय से नुकसान झेल रहे किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने को सहगल फाउंडेशन नाम की संस्था ने धारी गांव के किसानों के आगे कोसी नदी से सोलर पंपिंग योजना के जरिए सिंचाई का पानी उपलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा। उम्मीद के सहारे जिंदा किसानों ने तत्काल हामी भर दी। सहगल फाउंडेशन ने गांव में समिति गठित कर प्रति किसान पोसे लेकर लगभग डेढ़ लाख रुपये भी जमा करवा लिए। कोसी नदी क्षेत्र में योजना का कार्य भी शुरु कर दिया गया पर छह महीने का लंबा समय बीतने के बावजूद आज तक किसानों के खेतों तक पानी की बूंद तक नहीं पहुंची है। स्थानीय काश्तकार नंदन सिंह के अनुसार लगातार सहगल फाउंडेशन के अधिकारियों से पानी उपलब्ध कराने को कहा जा रहा है पर सभी टालमटोल पर आमादा है। जल्द आपूर्ति सुचारु करने की बात तो कह रहे हैं पर पानी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा। नंदन सिंह के अनुसार कई फसलें प्रभावित होने से किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। आरोप लगाया है की पहले लोहे के पाइपों के जरिए पानी उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया गया और अब प्लास्टिक के पाइप बिछाकर इतिश्री कर दी गई है। ग्रामीणों ने जल्द आपूर्ति शुरु करने की मांग उठाई है हीलाहवाली पर आंदोलन की चेतावनी भी दी है। सहगल फाउंडेशन के एग्रीकल्चर स्पेशलिस्ट रामकिशोर सागर के अनुसार योजना में दो प्लेटें लगनी शेष है। दो पंप लग चुके हैं। 15 लाख रुपये की योजना है। ग्रामीणों का अंशदान की धनराशि गांव की ही समिति के पास जमा है। लोहे के पाइप लगाए जाएंगे। जल्द आपूर्ति सुचारु की जाएगी।

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