= जगह-जगह लगे हैं गंदगी के ढेर
= नदी क्षेत्र में धड़ल्ले से डाली जा रही गंदगी
= कई गांवों में नदियों से बनी है पेयजल व सिंचाई योजनाएं

(((हरीश चंद्र/पंकज नेगी/कमल बधानी की रिपोर्ट)))

गरमपानी खैरना बाजार क्षेत्र ही नहीं बल्कि उत्तरवाहिनी शिप्रा व कोसी नदी भी गंदगी से कराह रही है। धड़ल्ले से नदी क्षेत्र में गंदगी डाले जाने से बीमारी का खतरा भी बढ़ गया है। लोगों ने नदी क्षेत्रों में गंदगी डाले जाने पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग उठाई है।
एक और गरमपानी से खैरना बाजार तक चप्पे-चप्पे पर गंदगी का साम्राज्य है। गंदगी से उठ रही दुर्गंध से लोगों का जीना मुहाल हो चुका है। गंदगी निस्तारण की ठोस व्यवस्था ना होने से लोग परेशान हैं। बाजार क्षेत्र के साथ ही अब बाजार क्षेत्र के पीछे बहने वाली उत्तरवाहिनी शिप्रा तथा कोसी नदी पर भी गंदगी डाली जा रही है। दोनों नदियों के संगम के बाद आगे जाकर कई सिंचाई पेयजल योजनाएं भी है। लोग मवेशियों को पानी भी पिलाते हैं साथ ही खुद भी पेयजल का इस्तेमाल करते हैं जिससे बीमारी पनपने का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। हैरत की बात यह है कि नदियों की सफाई अभियान को शासन प्रशासन तक अभियान नहीं चला रहा। वही बड़े-बड़े दावे करने वाले स्वयं सेवी संस्थाएं भी चुप्पी साधे बैठी हैं। नदियों में गंदगी डालने से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। पर्यावरण प्रेमियों ने नदी क्षेत्र में गंदगी डाले जाने पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की है। कहा है कि नदी क्षेत्र में गंदगी डालने वाले वालों पर कार्रवाई की जाए।