= गोविंद बल्लभ पंत अनुसंधान केंद्र में शोध अंतिम चरण में
= ताडी़खेत तथा बेतालघाट ब्लॉक के किसानों को मिलेगा फायदा
= बीमारी वाले बीज से मिलेगी निजात

(((सुनील मेहरा/कुबेर सिंह जीना/विरेन्द्र बिष्ट की रिपोर्ट)))

सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ताडी़खेत व बेतलाघाट ब्लॉक के किसानों को बीमारी रहित अदरक का बीज उपलब्ध हो जाएगा। गोविंद बल्लभ पंत प्रौद्योगिकी संस्थान मझेडा़ में इस पर शोध अंतिम चरण में पहुंच गया है। शोध पूरा होते ही ताडी़खेत व बेतालघाट ब्लॉक के कुछ किसानों को बीमारी रहित अदरक का बीच परीक्षण के रूप में दिया जाएगा। बेहतर परिणाम मिलने के बाद फिर अन्य किसानों को बीज वितरित किया जाएगा।
ताडी़खेत व बेतालघाट ब्लॉक के तमाम गांवो में अदरक की बेहतर पैदावार होती है पर कई गांवों में अदरक में बीमारी लगने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। अब किसानों के लिए राहत भरी खबर है। किसानों को जल्द ही बीमारी रहित अदरक का बीज उपलब्ध होगा। इसके लिए गोविंद बल्लभ पंत अनुसंधान केंद्र में टिशु कल्चर (पादप उत्तक संवर्धन) के तहत शोध अंतिम चरण में पहुंच गया है। खास बात यह है कि इस बीमारी रहित अदरक के बीज की समयावधि भी कम की जा रही है। वैज्ञानिक प्रयास कर रहे हैं कि 6 से 8 महीने में ही किसानों को उपज मिल सके। शोध पूरा होने के बाद परीक्षण के तौर पर ताडी़खेत व बेतालघाट ब्लॉक के कुछ गांवों में किसानों को पैदावार के लिए बीज दिया जाएगा शोध में जुटी गोविंद बल्लभ पंत अनुसंधान केंद्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक अंजली अग्रवाल ने दावा किया है कि पौधे से पहली पीढ़ी का बीज तैयार किया जा रहा है। फिलहाल ओखलकांडा के रिखाकोट के अदरक पर शोध प्रगति पर है। जल्द ही किसानों को बीज उत्पादन के लिए दिया जाएगा

केरल के बीज कि नहीं मिले बेहतर परिणाम

बीमारी रहित अदरक के उत्पादन के लिए शोध को केरल से भी बीज मंगाया गया। महिमा, वर्धा, राजठा प्रजाति के अदरक पर टिश्यू कल्चर से शोध किया गया पर इसके बेहतर परिणाम नहीं मिल सके। जिसको देख बाद में ओखलकांडा के रिखाकोट के आदेश पर शोध का निर्णय लिया गया।

ओखलकांडा के रिखाकोट के अदरक पर शोध किया जा रहा है अक्सर किसानों को अदरक में बीमारी लगने से काफी नुकसान होता था। बीमारी रहित बीज का उत्पादन होगा तो आर्थिकी भी सुधरेगी।

  • अंजली अग्रवाल, वरिष्ठ वैज्ञानिक, गोविंद बल्लभ पंत अनुसंधान केंद्र, मझेडा़।