= लगातार नुकसान से किसान परेशान
= खेतीबाड़ी से भी होने लगा मोहभंग
= क्षेत्रवासियों ने उठाई मुआवजे की मांग

(((विरेन्द्र बिष्ट/कुबेर सिंह जीना/दलिप सिंह नेगी की रिपोर्ट)))

लगातार नुकसान झेल रहे किसानों को मुआवजा दिए जाने की पुरजोर मांग उठने लगी है। लोगों ने शासन प्रशासन से किसानों की सुध लेने की मांग उठाई है। चेताया कि यदि उपेक्षा की गई तो फिर सड़क पर उतर आंदोलन शुरू किया जाएगा।
बीते दो वर्षों से पहाड़ के किसान लगातार नुकसान उठा रहे हैं। पहले कोरोना लॉकडाउन में उपज खेतों में ही बर्बाद हो गई बाद में कोरोना कर्फ्यू में भी नुकसान पहुंचा। सब कुछ ठीक होने की उम्मीद ले किसानो ने दोबारा खेतों को रुख किया तो ठीक समय पर बारिश ना होने पर कई नगदी फसलो की बुवाई ही नहीं हो सकी। बीज घरो में धरे के धरे रह गए। किसानों ने बैंकों से ऋण लेकर भी खेती किसानी कि। कुछ बेहतर उम्मीद होने की नजर आई तो मूसलाधार बारिश ने सब कुछ बर्बाद कर दिया। गोभी, शिमला मिर्च, टमाटर, बीन आदि की उपज खेतों में ही बर्बाद हुई। हालात ऐसे बिगडे़ की बड़ी मंडियों से तक उपज किसानों को वापस आने लगी। लगातार नुकसान से खेती किसानी में जुटे काश्तकारों का मोहभंग होने लगा है। ऐसे में अब किसानों को उचित मुआवजे की मांग उठी है। मदन सुयाल, सुनील मेहरा, महेंद्र कनवाल, हरीश चंद्र आदि लोगों ने ताडी़खेत तथा बेतालघाट ब्लॉक के तमाम गांवों के किसानों को मुआवजे की पुरजोर मांग उठाई है। चेताय है कि यदि किसानों की उपेक्षा की गई तो फिर सड़क पर उतर आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।