🔳बेसहारा गोवंशीय पशुओं को गौ सदन भेजने की मांग के बावजूद की गई अनदेखी
🔳घटना के बाद हमलावर सांड को भिजवाया गया गौसदन
🔳क्षेत्र के बाशिंदे पर अब भी मंडरा रहा अनहोनी का खतरा
🔳गरमपानी से खैरना बाजार तक जहां तहां झुंड में चल रहे बेसहारा पशु
((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

सिस्टम की लापरवाही आखिरकार गरमपानी के बुजुर्ग पर भारी पड़ गई। जिम्मेदारों की अनदेखी का खामियाजा बुजुर्ग को भुगतना पड़ा। सिस्टम की नींद भी तब टूटी जब कई दिनों से आक्रोशित होकर गरमपानी खैरना बाजार में घुम रहे सांड ने बुजुर्ग को गंभीर रुप से घायल कर दिया। घटना के दूसरे दिन हरकत में आए प्रशासन ने सांड को गौ सदन भिजवाया। जबकि लगातार स्थानीय लोग बेसहारा गोवंशीय पशुओं को गोसदन भेजने की मांग उठा रहे थे बावजूद जिम्मेदार पदों पर बैठे अफसर अनदेखी पर आमादा रहे।
अल्मोड़ा हल्द्वानी हाइवे पर स्थित गरमपानी खैरना बाजार क्षेत्र में बेसहारा गोवंशीय पशुओं का मुद्दा लगातार उठता रहा। पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर व्यापारी तथा विभिन्न संगठनों से जुड़े लोग गौवंशीय पशुओं से लगातार बढ़ रहे खतरे का मामला समय समय पर उठाते रहे पर लगातार अनसुनी कर दी गई। बीते दिनों गरमपानी निवासी राजेंद्र तिवारी (70) पुत्र स्व. केशव दत्त को आवारा सांड ने हमला कर गंभीर रुप से घायल कर दिया। सीएचसी गरमपानी में प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें हायर सेंटर हल्द्वानी रेफर कर दिया गया। हालत बिगड़ने पर स्वजन बुजुर्ग को उपचार के लिए देहरादून रवाना हुए पर हालत में सुधार नहीं हो सका। बीते शुक्रवार शाम बुजुर्ग की उपचार के दौरान मौत हो गई। घटना से जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। प्रांतीय नगर उद्योग व्यापार मंडल अध्यक्ष मनीष तिवारी, विरेन्द्र सिंह बिष्ट, महेंद्र सिंह, गजेंद्र सिंह नेगी, मनोज सिंह, फिरोज अहमद, राकेश जलाल, विनोद मेहरा, गोविन्द सिंह नेगी, मनोज नैनवाल , विवेक पंत ने आरोप लगाया की लगातार बढ़ रहे खतरे का मुद्दा उठाए जाने के बावजूद सुध नहीं ली गई। बुजुर्ग पर सांड के हमलावर होने के बाद अधिकारियों की नींद टूटी। व्यापारियों ने अब भी बाजार क्षेत्र में झुंड में घुम रहे बेसहारा गोवंशीय पशुओं से मंडरा रहे खतरे का अंदेशा जताया है। स्कूली बच्चों पर सबसे अधिक खतरा बता जल्द बाजार में घुम रहे गौवंशीय पशुओं के झुंड को गौ सदन भेजने की पुरजोर मांग उठाई है। चेतावनी दी है की यदि लापरवाह रवैया अपनाया गया तो फिर व्यापारी वर्ग आंदोलन को विवश हो जाएगा।