🔳तैनात कर्मियों पर ही रहती है कई गांवो की जिम्मेदारी
🔳मनरेगा योजना से जुड़े कार्यों में सबसे ज्यादा परेशानी
🔳लंबे समय से खाली पड़े हैं कई पद, विकास कार्य भी होते हैं प्रभावित
🔳कर्मचारियों के पद रिक्त होने से जनप्रतिनिधियों में भी नाराजगी

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

गांवों में विकास कार्यों के क्रियान्वयन का जिम्मा अधिकारियों व कर्मचारियों के उपर होता है पर बेतालघाट ब्लॉक में सरकार के हाथ पैर माने जाने वाले कर्मचारियों का ही संकट बना हुआ है। रिक्त पदों पर लंबे समय से तैनाती न होने से तैनाती कर्मचारियों ही अतिरिक्त कार्य का भी जिम्मा संभाल रहे हैं। बीडीओ महेश चंद्र गंगवार के अनुसार उच्चाधिकारियों को रिक्त पदों के विषय में जानकारी दी जा चुकी है। जल्द तैनाती होने की उम्मीद है।

बेतालघाट ब्लॉक में लगभग सत्तर से अधिक ग्राम पंचायतें हैं कई गांव ब्लॉक मुख्यालय से काफी दूरी पर स्थित है। भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी की मुख्यालय से गांवों में पहुंचने तक पूरा दिन लग जाए। मूलभूत सुविधाओं का दंश झेल रहे बेतालघाट में अब कर्मचारियों की भी संकट बढ़ता ही जा रहा है। शिक्षको की कमी से पहले ही कई विद्यालय शिक्षक विहीन हो चुके हैं तो अब ब्लॉक मुख्यालय से जुड़े कर्मचारियों का संकट भी गहरा गया है। महत्वपूर्ण मनरेगा योजना के तहत कार्य करने के लिए दस रोजगार सहायकों की जरुरत है जबकि महज दो रोजगार सहायक ही तैनात हैं। योजना से जुड़े तकनीकी कार्यों के लिए सत्तर से अधिक ग्राम पंचायतों में महज दो अवर अभियंताओं से ही बामुश्किल कार्य करवाया जा रहा है ऐसे में तैनात कर्मचारियों के उपर अतिरिक्त बोझ भी पड़ रहा है जिससे कार्यों के प्रभावित होना लाजिमी है। ब्लॉक के गांवों में दस ग्राम्य विकास अधिकारीयों की तैनाती के सापेक्ष महज पांच ग्राम्य विकास अधिकारीयों से कार्य संचालित करवाया जा रहा है। कर्मचारियों की कमी होने से जनप्रतिनिधियों में भी गहरी नाराजगी है। कर्मचारियों की कमी से आमजन के कार्य लंबित भी हो जाते हैं। बीडीओ महेश चंद्र गंगवार के अनुसार कर्मचारियों की कमी से संबंधित मामले की जानकारी उच्चाधिकारियों को भेज दी गई है। नए कर्मचारियों के मिलते ही प्राथमिकता से तैनाती की जाएगी। उम्मीद है की जल्द ही कर्मचारियों की कमी दूर होगी।