🔳सड़क तो छोड़िए पैदल रास्ते ही हो चुके खस्ताहाल
🔳जान जोखिम में डाल आवाजाही को मजबूर हुए ग्रामीण
🔳तीन वर्ष पूर्व आपदा से ध्वस्त होने के बाद आज तक नहीं ली गई सुध
((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))
गांवों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने को तमाम दावे किए जाएं पर धरातल पर दावे खोखले साबित हो रहे हैं। जहां एक ओर गांव की सड़कें बदहाल है तो वहीं गांवों को जोड़ने वाली पगड़ियां भी खस्ताहाल हो चुकी है। तीन वर्ष पूर्व आपदा से क्षतिग्रस्त गांवों के रास्तों पर गांवों के बाशिंदे जान हथेली पर रख आवाजाही को मजबूर हो चुके हैं बावजूद कोई सुधलेवा नहीं है।
बेतालघाट ब्लॉक के गांवों में विकास की हकीकत गांव के रास्ते बयां कर रहे हैं। मुख्य सड़के गड्डे, भू-धंसाव से क्षतिग्रस्त है बड़ी बड़ी झाड़ियां आवाजाही में खतरे का सबब बन चुकी है। वहीं गांवों के संपर्क मार्ग भी बदहाली का दंश झेल रहे हैं। गांव की लाइफ लाइन कहीं जाने वाली पगड़ियां जगह जगह खस्ताहाल है। ऐसे में गांवो के बाशिंदे बामुश्किल आवाजाही करने को मजबूर हैं। स्कूली नौनिहाल इन्हीं बदहाल रास्तों से जान हथेली पर रोजाना प्राथमिक शिक्षा का कहकहा सिखने विद्यालयों को आवाजाही करते हैं। सुदूर जाख गांव में हालात बेहद विकट है वहीं मल्ली पाली, लोहाली, मझेडा़ समेत तमाम अन्य गांवों में भी रास्ते बंद से बद्तर हालत में पहुंच चुके हैं बावजूद कोई सुधलेवा नहीं है। जाख गांव निवासी चंदन सिंह नेगी, ग्राम प्रधान मल्ली पाली शेखर दानी, गजेन्द्र सिंह, गोविन्द सिंह नेगी आदि के अनुसार तीन वर्ष पूर्व आपदा से गांवों के रास्ते क्षतिग्रस्त हो चुके हैं पर कोई सुध नहीं ली जा रही। लगातार मांग उठाए जाने के बावजूद ध्यान नहीं दिया जा रहा। अनदेखी पर ग्रामीणों ने गहरी नाराजगी भी जताई है। आरोप लगाया है की आवाजाही में तमाम परेशानियों से जूझना पड़ रहा है दुर्घटना का खतरा भी बना हुआ है। आए दिन लोग चोटील भी हो जा रहे हैं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। गांवों के रास्तों को तत्काल दुरुस्त किए जाने की मांग उठाई है।