= पर्वतीय क्षेत्रों के सुदूर गांवों में अजीबोगरीब है हालात
= संबंधित विभाग पर ग्रामीणों ने लगाया उपेक्षा का आरोप
(((हेमंत साह/फिरोज अहमद की रिपोर्ट)))
पर्वतीय क्षेत्रों के सुदूर गांवो में विभागीय योजनाओं के हाल भी अजब गजब है। लाखों करोड़ों की योजनाएं तो तैयार कर दी जाती है पर गांव के लोगों को लाभ ही नहीं मिल पाता। अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर नावली क्षेत्र में कोसी नदी पर बनी सिंचाई योजना के हालात भी कुछ ऐसी ही हकीकत बयां कर रहे हैं। योजना के बावजूद करीब डेढ़ सौ से ज्यादा धरतीपुत्र पिछले कई वर्षों से सिंचाई के पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे है।
वर्ष 2007 में अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर नावली क्षेत्र में कोसी नदी पर करोड़ों रुपये की लागत से समीपवर्ती जनता, बोहरु तथा वलनी गांव के सैकड़ों काश्तकारों के खेतों तक पानी पहुंचाने को लिफ्ट सिंचाई योजना तैयार की गई। उम्मीद थी की किसान लाभान्वित होगे पर विभागीय अनदेखी से महज वलनी गांव में ही सिंचाई का पानी पहुंच पाया। हालांकि जनता व बोहरु गांव तक भी सिंचाई योजना के पाईप पहुंचा दिए गए पर टैंक ना होने से सिंचाई का पानी खेतों तक नहीं पहुंच पाया। सीधे पाइप खेतों तक पहुंचने से इतना तेज पानी गिरा कि खेत खस्ताहाल हो तो चले गए। तेज बहाव से पानी आने से कई किसानो के खेत बर्बाद हो गए। परेशान ग्रामीणों ने सिंचाई करनी बंद कर दी। ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार गांव में टैंक बनाने की मांग उठाई गई पर कोई सुनवाई नहीं हुई। चौंदह वर्ष होने के बावजूद किसान सिंचाई के लिए बूंदबूंद पानी को मोहताज हो रहे हैं।