= बजट ठिकाने लगाने का जरिया बनी ग्रामीण सड़कें
=1.65 करोड़ रुपये से बनी सड़क में जवाब देने लगा है डामरीकरण
(((तीखी नजर संवाददाता की रिपोर्ट)))
पर्वतीय क्षेत्रों में ग्रामीण सड़कें बजट ठिकाने का जरिया बन चुकी है। विभागीय अनदेखी से करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद बनाई गई सड़क का डामरीकरण कुछ ही महीने में दम तोड़ने लगा है। ग्रामीणों ने मामले की जांच कराए जाने की मांग उठाई है।
दरअसल केंद्र व राज्य सरकार गांव गांव सड़क पहुंचाने के लिए लाखों करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। मकसद है गांव के लोगों को सड़क सुविधा उपलब्ध कराना पर विभागीय अनदेखी व गुणवत्ता विहीन कार्यों के चलते बजट का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे के ढोकाने क्षेत्र से कमोली गांव को जोड़ने के लिए कुछ वर्ष पूर्व रोड को स्वीकृति मिली। बकायदा राज्य सरकार ने रोड निर्माण के लिए 1.65 करोड़ रुपये अवमुक्त भी कर दिया। ढोकाने – रामगढ़ – छीमी मार्ग से महज चार किमी मार्ग का निर्माण किया जाना था पर विभागीय अनदेखी व मुनाफे के फेर में महज छह महीने में ही सड़क पर किया गया डामर दम तोड़ चुका है। जगह-जगह गड्ढे विभागीय हीलाहवाली की हकीकत बंया कर रहे हैं। कई बाइक सवार मोटर मार्ग में रपट कर चोटिल तक हो चुके हैं। मोटर मार्ग में भ्रष्टाचार की उखड़ती परतों से ग्रामीणों में भी गहरा रोष व्याप्त है। ग्रामीणों का आरोप है कि महज छह महीने पूर्व किया गया डामरीकरण गुणवत्ता विहीन कार्यों के चलते उखड़ने लगा है। कई बार आवाज उठाए जाने के बावजूद व्यवस्था दुरुस्त नहीं की जा रही। जान जोखिम में डाल आवाजाही करनी पड़ रही है कई जगह सड़क भूधंसाव की जद में भी है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द मोटर मार्ग को दुरुस्त नहीं किया गया तो सड़क पर उतर आंदोलन शुरु किया जाएगा। ग्रामीणों ने गुणवत्ताविहीन कार्यों की जांच की मांग भी उठाई है।