= किसानों पर पड़ रही चौतरफा मार
= आलू की बंपर पैदावार करने वाले गांवो में धरतीपुत्र निराश
(((कुबेर जीना/शेखर दानी/पंकज भट्ट की रिपोर्ट)))
कभी आलू की बंपर पैदावार करने वाले काश्तकार आज खुद ही आलू खाने को तरस गए है। पैदावर घटने से किसान मायूस तथ बेहद निराश है।
रिची बिल्लेख भुजान मोटर मार्ग पर स्थित बगवान गांव सब्जी उत्पादक गांव है। गांव में आलू, बीन, प्याज, बंदगोबी, फूलगोबी आदि सब्जियों की की बंपर पैदावार होती है। इस बार लॉकडाउन में किसानों की उम्मीद तोड़ दी। कई कुंतल सब्जी खेतों में ही सड़कर बर्बाद हो गई। बाद में बड़ी मंडिया खुली पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। बची कुची कसर कोरोना कर्फ्यू ने पूरी कर दी। सब कुछ ठीक होने की उम्मीद में किसानों ने वापस खेतों को रुख किया पर अब मौसम की मार से किसान बेहाल है। आलू समेत अन्य पैदावार चौपट हो चुकी है। उपज का उत्पादन चौपट हो चुका है। आलम यह है कि कभी पांच सौ कुंटल से ज्यादा पैदावार करने वाले किसान वाला गांव आज खुद ही आलू खाने को तरस गए हैं। बताते हैं कि करीब पचास से ज्यादा किसान सात सौ कुंतल से भी अधिक लौंग किपर व गोलख प्रजाति के आलू की पैदावार करते थे। उपज बेहतर होने पर लखनऊ व दिल्ली की बड़ी मंडियों तक भेज किसान मुनाफा कमाते थे। पर इस वर्ष किसानों को कभी लॉकडाउन तो कभी बारिश की मार पड़ी है। जिससे किसान मायूस है। किसानों ने शासन प्रशासन से मुआवजा देने की गुहार भी लगाई है।