= विभागीय कार्यशैली ने तोड़ दी किसानों की कमर
= खेतों में बिन पानी सूख रही फसल
= किसानो को हो रहे नुकसान की उठी मांग

(((विरेन्द्र बिष्ट/पंकज नेगी/कुबेर सिंह जीना की रिपोर्ट)))

गांवो के किसान सिंचाई के पानी को मोहताज हैं और विभाग ने नदी में बाढ़ के पूर्वानुमान से ही लिफ्ट सिंचाई योजनाएं बंद कर दी है। जिससे किसानों को बड़ा खामियाजा उठाना पड़ रहा है। गांवों में फसलें बर्बाद हो रही है पर विभाग पूर्वानुमान से ही लिफ्ट सिंचाई योजनाओं को बंद कर बैठा है। किसानों ने विभागीय कार्यशैली पर तमाम सवाल उठाए है।
पर्वतीय क्षेत्रों में विभागों के हाल भी अजब-गजब हैं। पहाड़ के किसान लॉकडाउन, कोरोना कर्फ्यू से बड़ा नुकसान उठा चुके हैं। अब सब कुछ ठीक होने की उम्मीद ले किसानों ने खेतों को रुख किया तो विभागीय कार्यशैली ने किसानों को निराश कर दिया है। नलकूप खंड रामनगर कोसी नदी से तमाम लिफ्ट सिंचाई योजनाएं संचालित करता है। जिससे पानी किसानों के खेतों तक पहुंचता है। पर संबंधित विभाग ने नदी में बाढ़ के पूर्वानुमान के चलते करीब बीस दिन पूर्व से ही लिफ्ट सिंचाई योजनाएं बंद कर दी है। बकायदा पंप हाउस में लगी मशीनें भी हटा दी गई हैं करीब 19 योजनाएं बंद है। जिससे सैकड़ों किसानों की हजारों हेक्टेयर कृर्षि भूमि पर फसल सूखने के कगार पर पहुंच चुकी है। गांव के लोग पानी की बूंद बूंद के इंतजार में हैं। इंद्रदेव भी नाराज हैं और इधर लिफ्ट सिंचाई योजनाओं को बंद कर दिए जाने से नुकसान दो गुना बढ़ गया है। धनियाकोट, धारी खैरनी, छड़ा, हली लोहाली, जौरासी, गैराडी़ समेत 19 लिफ्ट सिंचाई योजनाएं बंद है। क्षेत्रवासियों ने किसानों को हुए नुकसान का मुआवजा दिए जाने की मांग की है। इधर नलकूप खंड रामनगर के अपर सहायक अभियंता गजेंद्र पाल आर्या के अनुसार बाढ़ आने पर योजनाओं को नुकसान होने की संभावना बनी रहती है। जिस कारण प्रत्येक बरसात में योजनाएं बंद कर दी जाती हैं। अब बरसात के बाद ही योजनाएं संचालित की जाएंगी।