◾बीजोत्पादन में भी पचास फ़ीसदी की गिरावट
◾दो वर्षों में भी नहर मरम्मत ना होने से कई शोध भी हो चुके प्रभावित
◾ मझेडा़ नहर से पहुंचता था अनुसंधान केन्द्र तक सिंचाई का पानी

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

पिछले दो वर्ष पूर्व से क्षतिग्रस्त मझेडा़ सिंचाई नहर से कृषि अनुसंधान केंद्र मझेडा़ में बीजोत्पादन, शोध समेत कई कार्य प्रभावित हो गए हैं। जल्द नहर निर्माण ना होने से भविष्य में भी व्यवस्थाएं प्रभावित होने की आशंका है। केंद्र प्रभारी डा. अंजुली अग्रवाल के अनुसार लगभग पचास फीसद बीजोत्पादन प्रभावित हो चुका है।

दो वर्ष पूर्व अक्टूबर में हुई बारिश ने खूब तबाही मचाई। उफान में आई शिप्रा नदी ने कई योजनाएं क्षतिग्रस्त कर डाली। मझेडा़ नहर को भी नुकसान पहुंचा तब से अब तक नहर निर्माण ना होने से जहां एक और नहर से लाभान्वित किसान नुकसान का दंश झेल रहे हैं वही पंतनगर विश्वविद्यालय के कृषि अनुसंधान केंद्र मझेडा़ में भी लगभग पांच हेक्टेयर क्षेत्रफल में होने वाले कार्य पूर्णत: प्रभावित हो चुके हैं हालांकि बामुश्किल कोसी नदी से पंपिंग कर खेतों तक पानी पहुंचाया जा रहा है पर वह भी नाकाफी साबित हो रहा है। गेहूं व मटर का बीजोत्पादन कर तराई बीज निगम को भेजा जाता था। इस बार पचास फीसदी से भी कम बीजोत्पादन हो सका है। भविष्य में भी तमाम कार्य प्रभावित होने की आशंका बनी हुई है‌ केंद्र प्रभारी डा. अंजुली अग्रवाल के अनुसार यदि समय रहते नहर दुरुस्त नहीं की गई तो भविष्य में भी खासा नुकसान होने की आशंका है।