◾तीस फीसद उत्पादन प्रभावित होने का अंदेशा
◾बारिश न होने से सूखे बागान व नर्सरीयां
◾ विदेशों को भी निर्यात की जाती है उच्च गुणवत्ता की चाय

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

इंद्रदेव के रुठ जाने से जहां किसान मायूस हो चुके हैं वही उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड की विदेशों को निर्यात होने वाली उच्च गुणवत्ता की चाय के उत्पादन पर भी संकट मंडरा गया है। बारिश न होने से नैनीताल जनपद के बेतालघाट, रामगढ़ व धारी विकासखंडों में स्थित बोर्ड के बागानो व नर्सरियों में चाय के पौधे मुरझा गए हैं। विभागीय अधिकारियों ने समय पर बारिश न होने पर उच्च गुणवत्ता की चाय के उत्पादन पर तीन फीसद से अधिक गिरावट होने का अंदेशा जताया है जिससे चाय विकास बोर्ड को लाखों रुपये के नुकसान होने की संभावना है।
लगातार नुकसान झेल रहे धरतीपुत्र बारिश की आस में आसमान को टकटकी लगा देख रहे हैं। तमाम नगदी फसलो के साथ ही कई उपज चौपट हो चुकी है वही चाय विकास बोर्ड के बागान व नर्सरीयां भी सूखे की चपेट में आ गई हैं। नैनीताल जनपद के बेतालघाट, रामगढ व धारी ब्लॉक में लगभग 200 हेक्टेयर क्षेत्रफल में चाय बागान व करीब 14 लाख पौधों की नर्सरीयां स्थित है। बारिश ना होने से पौधे सूखते जा रहे हैं वहीं नए पौधरोपण की भी समस्या बनी हुई है। बारिश के अभाव में कोरिया, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान सहित अन्य देशों को निर्यात की जाने वाली उच्च गुणवत्ता की चाय के पौधे मुरझा गए हैं। जिससे करीब तीस फीसद उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है। उत्पादन प्रभावित होने से बोर्ड को लाखों रुपए के नुकसान हो सकता है। विदेशों में उच्च गुणवत्ता की चाय लगभग चौदह सौ रुपये प्रति किग्रा के हिसाब से बिक्री की जाती है। उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड घोड़ाखाल इकाई के प्रबंधक नवीन पांडे के अनुसार उच्च गुणवत्ता (फर्स्ट प्लस) की चाय के पौधे सूखे की चपेट में है जिससे करीब तीस फीसद उत्पादन प्रभावित हो सकता है। समय पर बारिश ना होने से नर्सरियो में नए पौधरोपण का कार्य भी प्रभावित होगा।