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= उपेक्षा से आहत हैं गांव के वाशिंदे
= चडयूला गांव में विकास के दावे खोखले


(((शेखर दानी/सुनील मेहरा की रिपोर्ट))) – तीखी नजर

ग्रामीण विकास को तमाम योजनाएं तैयार कर दी जाए पर धरातल में आज भी गांव विकास से कोसों दूर है। बेतालघाट ब्लॉक के चडयूला गांव के ग्रामीण तमाम मूलभूत जरूरतों के लिए तरस रहे हैं। आलम यह है कि आज भी ग्रामीणों को सरकारी राशन आदि के लिए करीब चार किमी की दूरी तय करनी पड़ती है।
चडयूला गांव में विकास के दावे एकदम उलट है। गांव ब्लॉक के समीप जरूर है पर विकास से आज भी कोसों दूर। ग्रामीण मूलभूत जरूरतों के लिए परेशान है। गांव से सस्ता गल्ला की दुकान करीब चार किलोमीटर की दूरी पर है। ग्रामीणों को पैदल ही दूरी तय कर चार किलोमीटर से राशन सिर पर ढोना पड़ता है।रोड निर्माण के लिए कई बार बजट मिलने के बावजूद आज तक रोड का निर्माण गांव तक नहीं हो सका जिस कारण भुजान बेतालघाट मोटर मार्ग से पैदल ही ग्रामीण गांव को आवाजाही करते हैं। मरीजों तथा गर्भवती महिलाओं को सड़क तक लाने ले जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण बताते हैं कि कई बार आवाज उठाए जाने के बावजूद गांव की सुध नहीं ली जा रही। गांव में समुचित मात्रा में पानी भी उपलब्ध है कई स्रोत भी हैं। बावजूद गांव के लोगों को समुचित मात्रा में पेयजल आपूर्ति नहीं हो पाती। विभागों की अनदेखी का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा हझ। कोरोना संकट के वक्त शहरों, महानगरों में नौकरी करने वाले युवा वापस गांव आए पर गांव की हालत से परेशान हो अब वापस लौट चुके हैं। स्थानीय लोगो के अनुसार चुनावों में ही नेताओं को गांव की याद आती है बाकी के वक्त नेता दिखाई भी नहीं देते।