= बंदरों के आतंक से बचने को लगाए गए दुकान की चारों ओर जाल
= व्यापारियों को करना पड़ रहा दोगुना खर्चा
= बंदरों को बाहरी क्षेत्रों से लाकर क्षेत्र में छोड़ने का आरोप
(((हरीश चंद्र / पंकज नेगी की रिपोर्ट)))
क्षेत्र में बंदरों का आतंक सर चढ़कर बोल रहा है। हालात यह है कि अब दुकाने जेल में तब्दील हो चुकी है। दुकानदार लोहे के जाल के अंदर से बिक्री करने को मजबूर है। बाजार में अधिकांश दुकानो में लोहे के जाल लग चुके है।
गरमपानी खैरना बाजार के व्यापारी बंदरों के आतंक से परेशान है। आतंक इतना बढ़ चुका है कि अब व्यापारियों को दुकान के चारों ओर जाल लगाना पड़ रहा है जिससे दुकाने जेल में तब्दील हो चुकी हैं। दुकानदार जेलनुमा दुकान के अंदर से ही बिक्री करने को मजबूर हैं। नजर बचते ही बंदर दुकानों से सामान उठा ले जा रहे हैं जिससे दुकानदारों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कई कटखने बंदर व्यापारियों पर झपट कर उन्हें काट भी दे रहे हैं जिससे खतरा दोगुना हो चुका है। क्षेत्र में बंदरों की तादाद लगातार बढ़ती ही जा रही है। व्यापारियों का आरोप है कि बाहरी क्षेत्रों से बंदरों को लाकर हाईवे पर छोड़ दिया जा रहा है जिससे संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। बंदरों के आतंक से बचने के लिए अब अधिकाशं व्यापारियों ने दुकानों के चारों ओर बकायदा लोहे के जाल लगाने शुरु कर दिए हैं। दुकान का सामान भी जाल के अंदर ही रखा जा रहा है। बख्तरबंद नुमा जाल के अंदर व्यापारियों के दुकान का सामान सुरक्षित है। बंदर उस जाल के अंदर घुसपैठ नहीं कर पा रहे। पर जाल लगाने में दुकानदारों को काफी पैसा खर्च करना पड़ रहा है। लोगो ने वन विभाग से बंदरों के आतंक से निजात दिलाए जाने की मांग उठाई है। बाहरी क्षेत्रों से हाईवे पर बंदर छोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है। चेताया है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो व्यापारी आंदोलन को बाध्य होंगे।