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= वर्ष 1990 में शिप्रा नदी के समीप बनी योजना विभागीय अनदेखी से है बदहाल

(((विरेन्द्र बिष्ट/फिरोज अहमद की रिपोर्ट)))

बेतालघाट ब्लॉक के डोबा गांव के किसानो के खेतों तक पानी पहुंचाने को खस्ताहाल पड़ी हाइड्रम योजना को दुरुस्त कर डोबा, मझेडा, खैरना तथा सूरीफार्म क्षेत्र के काश्तकारों के खेतों तक पानी पहुंचाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि यदि योजना दुरुस्त हो तो सैकड़ों काश्तकारों को इसका लाभ मिलेगा।

दरअसल वर्ष 1990 में डोबा गांव के काश्तकारों के खेतों तक पानी पहुंचाए जाने को उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी के समीप लाखो रुपये की लागत से हाइड्रमम योजना स्थापित की गई पर विभागीय अनदेखी के चलते योजना बदहाल हो गई वर्तमान में योजना के पंप आदि झाड़ियों से पटे पड़े हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि विभागीय अनदेखी के चलते योजना बदहाली का दंश झेल रही है। कहा है कि नई योजना को स्वीकृत होने में लंबा समय लग जाता है यदि हाइड्रम योजना को ही दुरुस्त कर दिया जाए तो डोबा गांव के साथ ही समीपवर्ती खैरना, मझेडा़, सूरीफार्म क्षेत्र के काश्तकारों के खेतों तक आसानी से पानी पहुंचाया जा सकता है जिससे सैकड़ों काश्तकारों को लाभ मिलेगा। किसानो ने योजना को दुरुस्त किए जाने को लेकर ठोस कदम उठाए जाने की मांग की है। ग्रामीणों ने कहा कि यदि समय रहते हाइड्रम योजना को दुरुस्त नहीं किया गया तो संबंधित विभाग के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंक दिया जाएगा।