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= बदहाल होता जा रहा जीआइसी लोहाली का भवन
= विद्यार्थी व शिक्षको पर मंडरा रहा खतरा
= क्षेत्रवासियों ने उठाई मरम्मत की मांग


(((पंकज भट्ट की रिपोर्ट)))

सूदूर गांवो में शिक्षा के मंदिरों के हालात ठीक नहीं है। बेतालघाट ब्लॉक के लोहाली गांव में स्थित जीआइसी का भवन बदहाल होता जा रहा है। बावजूद कोई सुध लेवा नहीं है। क्षेत्रवासियों ने विद्यालय भवन को दुरुस्त किए जाने की पुरजोर मांग उठाई है।
तमाम गांवों के मध्य स्थित जीआइसी लोहाली के भवन का निर्माण वर्ष 1997 में किया गया। आसपास के गांवों के नौनिहाल शिक्षा ग्रहण करने के लिए विद्यालय पहुंचते हैं पर विद्यालय की हालात नासाज है। तीन मंजिला विद्यालय भवन का जगह-जगह से प्लास्टर गिरने लगा है। जिससे विद्यार्थियों तथा विद्यालय स्टाफ के ऊपर भी खतरा बना हुआ है। विद्यालय में करीब 168 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। जगह-जगह से गिरता प्लास्टर बड़ी घटना की ओर इशारा कर रहा है। विद्यालय को मरम्मत की आवश्यकता है पर इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा। ग्रामीणों का कहना है कि कभी भी कोई बड़ी घटना सामने आ सकती है स्थानीय लोगों ने विद्यालय भवन की मरम्मत किए जाने की पुरजोर मांग उठाई है दो टूक चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही विद्यालय भवन की मरम्मत को ठोस कदम नहीं उठाए गए तो अभिभावको को साथ ले आंदोलन शुरु कर दिया जाएगा। भवन के साथ ही कक्षा कक्षों की हालत भी ठीक नहीं है। करोड़ों की लागत से बने विद्यालय के अंदर खिड़कियों के शीशे टूटे हुए पड़े हैं। रसायन विज्ञान की लैब की भी हालत ठीक नहीं है। परीक्षण को बने सीमेंट के बेंच जर्जर हालत में पहुंच चुके है। हालात यह है की लैब में पानी तक उपलब्ध नहीं है। हालात इस कदर खराब है कि लैब में बिछाई गई पाइप लाइन जंग लग कर गल चुकी है। विद्यालय परिसर के अंदर चार दिवारी तक नहीं बनी है जिस कारण जंगली जानवरो का खतरा बना हुआ है। विद्यालय को वर्ष 2011 से स्थाई प्रधानाचार्य तक नसीब नहीं हुआ है। अस्थाई प्रधानाचार्य के भरोसे विद्यालय चल रहा है। बारह वर्ष बाद भी स्थाई प्रधानाचार्य की तैनाती ना होना भी शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठा रहा है। क्षेत्रवासियों ने तत्काल स्थाई प्रधानाचार्य की तैनाती किए जाने की भी मांग उठाई है।