= नदी किनारे बसे बीस से ज्यादा परिवार है खतरे की जद में
= सुरक्षा के ठोस उपाय ना होने से बढ़ रहा खतरा
= वर्ष 2010 की पुनरावृत्ति हुई तो होगा बड़ा नुकसान

(((हरीश चंद्र / पंकज नेगी की रिपोर्ट)))

खैरना क्षेत्र में कोसी नदी से सटे करीब बीस से ज्यादा परिवार खतरे की जद में है। सुरक्षा के ठोस उपाय ना होने से नदी का कोसी नदी का वेग बढ़ने पर खतरा दोगुना हो जाता है। ग्रामीणों ने कोसी नदी पर आबादी की ओर ठोस सुरक्षात्मक कार्य कराए जाने की मांग उठाई है।
अल्मोड़ा व नैनीताल जनपद को जोड़ने वाली रानीखेत पुल से कोसी व उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी के संगम तक कोसी नदी से सटे करीब बीस परिवार निवास करते हैं। मंडी समिति का आपुण बाजार भी आबादी के बीच में ही बना हुआ है। वर्ष 2010 में कोसी नदी का वेग बढ़ने पर पानी आबादी क्षेत्र तक पहुंच गया था। कुमाऊँ मंडल विकास निगम के पर्यटक आवास गृह के कई कमरों में भी पानी भर गया था। बावजूद आज तक आबादी की ओर सुरक्षात्मक कार्य नहीं कराए गए हैं जिससे खतरा बढ़ता ही जा रहा है। बारिश होने पर ग्रामीणों को खतरा सताने लगता है। कोसी व शिप्रा नदी के संगम तट पर बने शिवालय मंदिर की सुरक्षा को भी ठोस प्रबंध नहीं किए गए हैं जिससे मंदिर परिसर को भी खतरा उत्पन्न हो जाता है। मंदिर परिसर से सटे गुफा महादेव मंदिर में भी वर्ष 2010 की आपदा में काफी नुकसान हुआ था तब गुफा महादेव की सुरक्षा को तटबंध भी बनाए गए पर धीरे-धीरे तटबंध खस्ताहाल होते चले गए। स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्ष 2010 की तरह ही कोसी नदी के वेग की पुनरावृत्ति हुई तो खतरा कई गुना अधिक बढ़ जाएगा। जिससे काफी नुकसान होने की भी संभावना है। स्थानीय महेंद्र सिंह बिष्ट, बिशन जंतवाल, सत्येंद्र शर्मा, राजेंद्र सिंह बिष्ट, गजेन्द्र नेगी आदि ने कोसी नदी पर आबादी क्षेत्र की ओर ठोस सुरक्षात्मक कार्य कराए जाने की मांग उठाई है। चेतावनी दी है कि यदि उपेक्षा की गई तो संबंधित विभाग के खिलाफ आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी।