◾ पैदल पुलिया के ध्वस्त होने से जान जोखिम में डाल आवाजाही को मजबूर ग्रामीण
◾ विद्यालय आवाजाही करने वाले नौनिहालों पर भी संकट
◾ ग्रामीणों ने लगाया उपेक्षा किए जाने का आरोप
((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))
आपदा की मार से गांवों के लोग आज तक उभर नहीं सके हैं जबकि आपदा को एक वर्ष बीत चुका है। रामगढ़ ब्लाक के तमाम गांवों की आवाजाही को सिमराड़ गधेरे पर बनी पैदल पुलिया ध्वस्त पड़ीं होने से गांवों के वासिदों को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है बावजूद कोई सुध लेवा नहीं है। ग्रामीणों ने पुलिया निर्माण की पुरजोर मांग उठाई है।
बीते वर्ष अक्टूबर की आपदा के ज़ख्म आज भी हरे हैं। तमाम गांवों में पेयजल संकट बना हुआ है। संपर्क मार्ग बदहाल हालत में है वहीं ढोकाने सुयालबाडी़ मोटर मार्ग से तमाम गांवों की आवाजाही को सिमराड़ गधेरे पर बनी पैदल पुलिया भी बीते वर्ष ध्वस्त हो गई। पुलिया के ध्वस्त होने से सिमराड़, सिंगोली, दुमगांव समेत तमाम गांवों के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विद्यालयो को आवाजाही करने वाले नौनिहालों पर लगातार खतरा मंडरा रहा है। कई बार ग्रामीण पुलिया निर्माण की मांग उठा चुके हैं पर कोई सुनवाई नहीं हो रही। गांवो में किसी के भी बिमार पड़ने पर बामुश्किल मोटर मार्ग पर पहुंचाया जा रहा है। स्थानीय प्रमोद गुणवंत, हेम चंद्र, खीमानंद गुणवंत, कुबेर सिंह जीना, भुवन गुणवंत, संजय भंडारी, सोनू गुणवंत, नवीन गुणवंत आदि ने लंबे समय से ध्वस्त पुलिस की सुध न लिए जाने से नाराजगी जताई है दो टूक चेतावनी दी है की यदि जल्द पुलिया का निर्माण नहीं किया गया तो फिर ग्रामीणों को साथ लेकर आंदोलन का बिगूल फूंक दिया जाएगा।