◾ स्त्री रोग विशेषज्ञ के अभाव में गर्भवती महिलाएं परेशान
◾ अल्मोड़ा, हल्द्वानी, रामनगर, नैनीताल रुख करना बना मजबूरी
◾ क्षेत्रवासियों ने लगाया स्वास्थ्य विभाग पर उपेक्षा किए जाने का आरोप

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं चाक चौबंद करने के लाख दावे किए जाएं पर धरातल की तस्वीर दूसरी ही हकीकत बयां कर रही है। बेतालघाट ब्लॉक की 75 ग्राम पंचायतों की पचास हजार से भी ज्यादा आबादी पर एक भी स्त्री रोग विशेषज्ञ ना होना सरकार के दावों की पोल खोल रहा है। पंचायत प्रतिनिधियों व क्षेत्रवासियों ने उपेक्षा पर नाराजगी जताई है। आरोप लगाया है कि विशेषज्ञ ना होने से लोगों को अल्मोड़ा, हल्द्वानी, रानीखेत, रामनगर रुख करना मजबूरी बन बन चुका है।
पृथक उत्तराखंड राज्य बनने के बाद उम्मीद थी कि पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हो सकेंगी पर समय के साथ साथ व्यवस्थाएं बदहाल होती चली गई। स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लाख दावे किए जाएं पर पहाड़ों में स्थित अस्पतालों की हालत व विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव सरकार के दावों की पोल खोल रहा है। बेतालघाट ब्लॉक में ही करीब 75 ग्राम पंचायतें हैं जहां करीब पचास हजार से ज्यादा आबादी है। बेतालघाट तथा गरमपानी में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है साथ ही कुछ गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी बने हैं पर अस्पतालों में समुचित चिकित्सकों का अभाव है। विशेषज्ञ चिकित्सकों के ना होने से लोग परेशान हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञ के अभाव में गर्भवती महिलाओं को अल्मोड़ा, हल्द्वानी, रानीखेत, रामनगर को रुख करना पड़ रहा है। कई बार तैनाती की मांग उठाई जा चुकी है पर कोई सुनवाई नहीं हो रही। वीरेंद्र सिंह बिष्ट, कुबेर सिंह जीना, हरीश चंद्र, पंकज भट्ट, शेखर दानी, दयाल दरमाल, बिशन जंतवाल, फिरोज अहमद, हरीश कुमार कमल बधानी, मदन सिंह आदि लोगों ने स्त्री रोग विशेषज्ञ की तैनाती के जाने की पुरजोर मांग उठाई है। चेताया है कि यदि जल्द स्त्री रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं की गई तो फिर स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंक दिया जाएगा।