◾अंकिता हत्याकांड के बाद रानीखेत के नजदीकी गांव में हुई घटना से फिर पहाड़ शर्मसार
◾पहाड़ में महलनुमा इमारते,बड़े-बड़े रिजॉर्ट भविष्य के लिए बड़े खतरे का संकेत
◾ बडा़ सवाल – क्या अपने ही प्रदेश अपने ही गांव में सुरक्षित नहीं रह गई बेटियां

((( ब्यूरो रिपोर्ट, गरमपानी)))

पृथक उत्तराखंड राज्य की लड़ाई लड़ने वाले वीर शहीदों व क्रांतिकारियों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिस राज्य के लिए लड़ाई लड़ी जा रही है आने वाले समय में उसी राज्य को बड़े-बड़े नाम कलंकित कर देंगे। अंकिता हत्याकांड से अभी पर्दा ही उठ सका था अब कुमाऊं के हिल स्टेशन में शुमार रानीखेत के नजदीकी गांव में हुई घटना ने एक बार फिर पहाड़ के लोगों को झकझोर दिया है। पहाड़ में तेजी से फल-फूल रहे कंक्रीट के जंगल से अब असलियत बाहर आने लगी है। कई मंजिला व करोड़ों की लागत से बनने वाले इन महलनुमा रिजॉर्टो में कैसे पहाड़ की अस्मत लूटी जा रही है यह धीरे-धीरे अब सामने आने लगा है। निश्चित रूप से आज वीर शहीदों की आत्मा बेहद दुखी होंगी कि अपने ही प्रदेश व अपने ही गांव में आज बहन बेटियां सुरक्षित नहीं रह गई है।
पृथक राज्य की लड़ाई शिद्दत से लड़ी गई। कई वीर सपूतों ने अपनी जान की कुर्बानी दी। राज्य भी बना पर अब धीरे-धीरे कई कारनामे सामने आने से राज्य का नाम कलंकित होने लगा है। हाकम सिंह के काले कारनामे तथा अंकिता हत्याकांड जैसे मामले बहुत कुछ हकीकत बयां कर रहे हैं। कैसे सफेदपोश आम आदमी पर हावी होते है यह सब कुछ उत्तराखंड में साफ साफ नजर आ रहा है। सचिवालय में बैक डोर से हुई भर्तियां आम आदमी व नौजवानों के मुंह पर करारा तमाचा है। अभी कई मामले ठंडे भी नहीं हो सके थे कि कुमाऊं के हिल स्टेशन रानीखेत के नजदीक डांडा कांडा गांव में दिल्ली सचिवालय में तैनात एक संयुक्त सचिव का कारनामा सामने आ गया है। कंक्रीट के जंगलों में तब्दील होते पहाड़ में बन रहे रिजॉर्ट, महलनुमा कोठियां व बाहरी लोगों के कारनामो को अंजाम देने की घटनाएं भविष्य को डरा रही हैं। पहाड़ के भोले-भाले लोग कुछ समझ पाते इससे पहले विशालकाय इमारतें तैयार हो रही हैं। महंगी गाड़ियों में कौन आ रहा है कौन जा रहा है इसका कुछ पता भी नहीं। लग्जरी गाड़ी में जाने वाले लोग भविष्य में किस घटना को अंजाम दे दें इसका भी कुछ पता नहीं है। डांडा कांडा गांव में नाबालिक के साथ हुई घटना निश्चित तौर पर शर्मसार कर रही है पर यह भी अंदेशा है कि अब तक पता नहीं ऐसे कितने एवी प्रेमनाथ जैसे दरिंदे पहाड़ में छुपे बैठे हैं। जिनका खुलासा ही नहीं हो पा रहा। बहरहाल इतना जरूर है कि वर्तमान की घटनाएं भविष्य में बड़े खतरे की ओर संकेत कर रही है।