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= ग्रामीणों ने लगाया विभाग पर उपेक्षा का आरोप
= बूंदबूंद पानी को तरस रहे पचास से ज्यादा परिवार

(((महेंद्र सिंह कनवाल की रिपोर्ट)))

पहाड़ में लोग पहाड़ जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। बावजूद कोई सुध लेने को तैयार नहीं है। आलम यह है कि अल्मोड़ा हल्द्वानी हाइवे से सटे गांवों के लोग नदी का पानी पीने को मजबूर है। कई बार पेयजल आपूर्ति सुचारू किए जाने की मांग उठाई जा चुकी है पर कोई सुनवाई नहीं हो रही।

हाइवे से सटे खान व मुस्कुटा गांव में पचास से ज्यादा परिवारों को पेयजल उपलब्ध कराने को शेर पंपिंग पेयजल योजना से जोड़ा गया पर कुछ समय ठीक रहने के बाद हालात बिगड़ते चले गए। विभागीय अनदेखी व समय की मार से पाइप लाइन जगह-जगह क्षतिग्रस्त होते चले गए। गांव की पेयजल आपूर्ति चरमरा गई। कई बार ग्रामीणों ने आवाज उठाई पर कोई सुनवाई नहीं हुई। मजबूरी में ग्रामीणों ने नदी को रुख कराना पडा़। समीप बहने वाली शिरोता नदी ही ग्रामीणों के लिए जीवनदायिनी बन गई है। नदी का पानी पीना मजबूरी बन चुका हैं। स्थानीय बालम सिंह, रमेश कांडपाल, जीएन कांडपाल, पूरन राम, शंभू राम, नारायण राम आदि ने संबंधित विभाग पर उपेक्षा का आरोप लगाया। कहा कि विभाग सुध नहीं ले रहा। मजबूरी में गांवों के लोग नदी का पानी पी रहे हैं। बरसात आने पर संक्रामक बीमारी फैलने का खतरा भी बना हुआ है। चेताया है कि यदि पेयजल व्यवस्था सुचारू नहीं की गई तो फिर संबंधित विभाग के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।