◼️ आपदा के नौ माह बाद भी सिंचाई योजनाएं बदहाल
◼️ समुचित पानी ना मिलने से काश्तकार परेशान
◼️ उपेक्षा का आरोप जल्द, योजनाओं को दुरुस्त करने की उठाई मांग

(((टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

आपदा को नौ माह बीत जाने के बावजूद सरकारी योजनाओं को दुरुस्त करने के लिए बजट उपलब्ध नहीं हो सका है ऐसे में नहरों में प्लास्टिक की पन्नी बिछाकर खेतों तक पानी पहुंचाया जा रहा है। खेतों तक समुचित पानी नहीं पहुंच पाने के कारण किसानो को नुकसान उठाना पड़ रहा है। क्षेत्रवासियों ने तत्काल योजनाओं की मरम्मत की मांग उठाई है।
रातीघाट तथा घुना क्षेत्र के किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने को शिप्रा नदी से वर्षों पूर्व सिंचाई नहर का निर्माण किया गया। बीते अक्टूबर में आई आपदा ने नहर को नेस्तनाबूद कर दिया। जगह जगह नहर क्षतिग्रस्त हो गई। किसान खेतों में सिंचाई के पानी को मोहताज हो गए। कई बार मरम्मत की मांग उठाई गई पर कोई सुनवाई ना हो सकी। मजबूरी में अब नहर में प्लास्टिक की पन्नी बिछाकर खेतों तक पानी पहुंचाया जा रहा है। कई बार पन्नी के खराब होने से समुचित पानी खेतों तक नहीं पहुंच रहा जिस कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि आपदा को नौ माह बीतने के बावजूद सिंचाई नहर को दुरुस्त नहीं किया जा सका है। लोगों ने संबंधित विभाग पर उपेक्षा का आरोप लगाया है। गांव के देवेंद्र सिंह भंडारी, पूरन सिंह, जीवन सिंह बिष्ट, धारा बल्लभ, पूरन चंद्र, मनोज, भुवन चंद्रा देवी, कमला देवी आदि ने तत्काल नहर की मरम्मत की मांग उठाई है। चेताया है कि यदि उपेक्षा की गई तो सिर्फ सड़क पर उतर आंदोलन शुरू किया जाएगा।