◼️ मुंबई के होटल में बतौर वेटर था कार्यरत
◼️ कुक का कार्य करने वाले युवक ने चाकू से किए ताबड़तोड़ वार
◼️ स्वजनो का रो रो कर बुरा हाल, गांव में पसरा मातम
((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))
मुंबई के होटल में बतौर वेटर का कार्य करने वाले बेतालघाट ब्लॉक के धनियाकोट गांव निवासी युवक की चाकू से गोदकर बेरहमी हत्या कर दी गई। घटना से मृतक के गांव में कोहराम मच गया है। स्वजनों का रो रो कर बुरा हाल है। स्वजनो के अनुसार वारदात को अंजाम देने वाले युवक के खिलाफ मुंबई पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है।
बेतालघाट ब्लॉक के मल्लाकोट, धनियाकोट गांव निवासी जगदीश जलाल (42) पुत्र रामसिंह जलाल पिछले कई वर्षों से अंधेरी मुबंई, सुरेन रोड, पीवीआर सिनेमा के समीप स्थित होटल रेजिडेंसी में बतौर वेटर कार्यरत था। जानकारी के अनुसार बीते गुरुवार देर शाम उसका होटल में ही बतौर कुक का कार्य करने वाले बिहार निवासी माधव मंडल से हल्का विवाद हो गया। शुक्रवार सुबह विवाद बढ़ गया तो सुरेंद्र मंडल ने जगदीश पर चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर दिया। छाती, कमर सहित शरीर के कई हिस्सों में पांच गहरे घाव कर डाले। आनन-फानन में होटल के कर्मचारी गंभीर रूप से घायल जगदीश को समीपवर्ती अस्पताल ले गए जहां जगदीश ने दम तोड़ दिया। घटना की सूचना मृतक के स्वजनो को भी दी गई। सूचना से पूरे गांव में कोहराम मच गया। स्वजनो के अनुसार जगदीश पर हमला करने वाले माधव मंडल को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है वही जगदीश के साथी व कुछ अन्य स्वजन शव लेकर मुंबई से गांव की ओर रवाना हो गए हैं। मृतक अपने पीछे पत्नी चंपा, दस वर्षीय बेटा योगेंद्र तथा आठ वर्षीय बेटी कल्पना को रोते बिलखते छोड़ गया है। घटना से ग्रामीणों में भी गहरा रोष व्याप्त है। स्थानीय मनोज सिंह, भानु जलाल, नंदन सिंह, दान सिंह, मदन सिंह, जगमोहन सिंह, हरेंद्र सिंह, मोहन सिंह ने मामले में उचित कार्रवाई करने तथा मृतक के स्वजनो को उचित मुआवजा दिए जाने की पुरजोर मांग उठाई है।
बेहद मिलनसार था जगदीश
जगदीश बेहद मिलनसार स्वभाव का था। दो छोटे भाइयों में सबसे बड़े जगदीश पूरे गांव का प्यारा था। शादी विवाह व अन्य कार्यों में वह बढ़-चढ़कर भागीदारी करता। पिछले कई वर्षों से वह मुंबई में एक ही होटल में कार्यरत था। लॉकडाउन में घर आने के बाद दोबारा वह उसी होटल में कार्य करने पहुंचा था। जगदीश ने दिवाली पर घर पहुंचने का वादा किया था पर इस बार नियति को कुछ और ही मंजूर था।