◼️ गांव से सड़क तक उपज पहुंचाने में करना पड़ता है काफी भुगतान
◼️ गांव को जोड़ने वाला मोटर मार्ग भी एक वर्ष से अधूरा
◼️ग्रामीण ने उठाई मुआवजा तथा सड़क निर्माण कार्य पूरा करने की मांग
(((टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))
ढोकाने छिमी मोटर मार्ग से सटे दड़मोटा गांव के किसानों की उपज गांव में ही बर्बाद हो जा रही है। गांव से सड़क मार्ग तक पहुंचाने में किसानों को काफी किराए का भुगतान करना पड़ रहा है जिस कारण किसान उपज को बड़ी मंडियों तक ही नहीं भेज रहे। खेतों में ही उपज बर्बाद होने से किसान मायूस है। गांव को मुख्य सड़क तक जोड़ने वाला मोटर मार्ग भी एक वर्ष से आधा अधूरा है जिस कारण घोड़ों के जरिए उपज को मार्ग तक मुख्य मार्ग तक पहुंचाया जाता है।
पहाड़ों के किसान एक नहीं बल्कि तमाम समस्याओं से जूझ रहे हैं कहीं उपज की पैदावार ही नहीं हो रही तो कहीं उपज हो भी रही है तो वह खेतों में ही बर्बाद हो जा रही है। छिमी ढोकाने मोटर मार्ग से सटे दड़मोटा गांव के तीस से ज्यादा किसान परेशानी से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार गांव से मोटर मार्ग तक उपज को घोड़ों के जरिए पहुंचाया जाता है। जिसमें काफी अधिक किराए का भुगतान करना पड़ता है। उसके बाद वाहनों के जरिए उपज बड़ी मंडियों तक पहुंचाई जाती है जिसमें किराया दोगुना हो जा रहा है अब किसानो का मोहभंग होने लगा है। जिस कारण उपज खेतों में ही बर्बाद हो रही है। 50 से 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकने वाली नासपती की गांव में भारी बर्बादी हो चुकी है। गोभी, शिमला मिर्च, आढू में भी किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। गांव को बनने वाली सड़क भी पिछले एक.वर्ष से अधूरी पड़ी है। उसका भी कोई सुध लेवा नहीं है। गांव के कंचन सुयाल, मनीष सुयाल, चंदन सिंह, राजन सिंह, कैलाश, गुड्डू सुयाल, विनोद आदि ने किसानों को मुआवजा देने तथा गांव तक मोटर मार्ग निर्माण कार्य पूरा किए जाने की पुरजोर मांग उठाई है।