◼️ रसायन विज्ञान व समाजशास्त्र के प्रवक्ता का पद वर्षो से रिक्त
◼️ विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय, परिजन चिंतित
◼️गांव में बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के दावों पर भी उठे सवाल
((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))
पर्वतीय क्षेत्र के बाशिंदे एक नहीं बल्कि तमाम समस्याओं से जूझ रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधा के लिए जहां ग्रामीणों को कई किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है वहीं स्कूलों के नौनिहाल भी अध्यापकों की राह देखते देखते थक चुके है। महत्वपूर्ण विषयों के अध्यापकों की तैनाती न होने से नौनिहालों का भविष्य अंधकार में होता जा रहा है।
पृथक उत्तराखंड राज्य की लड़ाई लड़ते वक्त किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि जिन सुविधाओं के लिए प्रथक उत्तराखंड राज्य की मांग की जा रही है उन्हीं सुविधाओं का गांवों में अकाल पड़ जाएगा। नीति निर्माताओं की अनदेखी कहे या पहाड़ के लोगों की नियति सुविधाओं के लिए आज भी गांव के लोगों को तरसना पड़ रहा है। विद्यालयों में महत्वपूर्ण विषयों के अध्यापक ही नहीं है। बेतालघाट ब्लॉक के जीआइसी खैरना में बीते छह वर्षों से रसायन विज्ञान व समाजशास्त्र के अध्यापक का पद रिक्त है। अंग्रेजी जैसे महत्वपूर्ण विषय के गुरुजन भी नहीं है। ऐसे में नौनिहाल परेशान है तो वहीं परिजनों को भी बच्चों के भविष्य की चिंता सताने लगी है। जीआइसी में करीब 225 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। महत्वपूर्ण विषयों के गुरुजन ना होने से विद्यार्थियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार कई बार मांग उठाई जाने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग पर भी उपेक्षा किए जाने का भी आरोप लगाया है।