= अमेल व तिवारीगांव से किया जाता था निर्यात
= सिंचाई नहर के ध्वस्त होने से उत्पादन हुआ चौपट
= कोसी घाटी के किसान उठा रहे भारी नुकसान

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

कभी स्वीजरलैंड में बेतालघाट की शान रहे बासमती चावल की पैदावार अब ठप हो गई है। आलम यह है कि करीब 80 से ज्यादा किसान प्रभावित हो चुके हैं। सिंचाई नहरों के बदहाल होने से अब उपज की पैदावार नहीं हो पा रही है। किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। मौसम भी मेहरबान नहीं है।
बेतालघाट ब्लॉक के कोसी नदी से सटे तिवारीगांव, अमेल, तल्ली व मल्ली सेठी गांव में पार्टनर्स इन प्रोस्पेरिटी संस्था के तत्वाधान में लगभग 80 से ज्यादा किसानों को जोड़ बासमती चावल की सीआर 30 तथा एचआर 370 प्रजाति के चावल की पैदावार को विशेष योजना शुरू की गई। किसानों की मेहनत रंग लाई। पीआईपी संस्था के सहयोग से स्विट्जरलैंड को कोसी घाटी के चावल का निर्यात भी किया जाने लगा। सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था कि किसानों की किस्मत दगा दे गई। बीते वर्ष कोसी नदी के उफान में सिंचाई नहरों के ध्वस्त होने से कृषि भूमि को समुचित पानी नहीं मिल सका जिस कारण लगातार पैदावार घटती चली गई। अब आलम यह है कि तिवारीगांव व अमेल गांव में चावल की पैदावार ठप हो चुकी है। जिससे किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कई बार किसान सिंचाई नहरों को दुरुस्त करने की मांग उठा चुके हैं पर हालत जस की तस है। पीआईपी संस्था की फील्ड अधिकारी सीमा तिवारी के अनुसार स्वीजरलैंड को भेजे जाने वाले चावल से किसानों को बेहतर मुनाफा होता था पर अब पैदावार ना होने से किसान लगातार नुकसान उठा रहे हैं। अमेल तथा तिवारीगांव में उत्पादन पूर्णत: ठप हो चुका है।