= कई घटनाएं होने के बावजूद नहीं ले रहे सबक
= नदी में गहराई व भवर का नहीं होता अंदाजा
= गहराई व भंवर वाले स्थानों पर आवाजाही प्रतिबंधित करने की मांग
(((कुबेर जीना/अंकित सुयाल/मनीष कर्नाटक की रिपोर्ट)))
नदी में डूब कर कई लोगों की मौत हो चुकी है बावजूद लोग खतरे को दरकिनार कर धड़ल्ले से नदी में डुबकी लगा रहे हैं। खास तौर पर बाहरी क्षेत्रों से आने वाले पर्यटक नदी में नहाने उतर रहे हैं। छोटे-छोटे बच्चो को तक गहराई वाले स्थानों पर ले जाया जा रहा है। जिससे खतरा कई गुना बढ़ रहा है। क्षेत्रवासियों ने गहराई व भंवर वाले स्थानों पर आवाजाही प्रतिबंधित करने तथा जागरूकता अभियान चलाए जाने की पुरजोर मांग उठाई है।
कोसी तथा शिप्रा नदी में गहराई व भंवर का सही अंदाजा ना होने से कई लोगों की डूबकर मौत हो चुकी है। खतरे से अनजान लोग नदी में नहाने उतर जाते हैं। तापमान बढ़ने के साथ ही अब एक बार फिर नदी में नहाने उतरने वाले लोगों की भीड़ बढ़ गई है। छोटे-छोटे बच्चों तक को नदी के बीचो-बीच ले ले जाया जा रहा है। जिससे खतरा कई गुना बढ़ रहा है। बाहरी क्षेत्रों से आने वाले पर्यटकों को नदी क्षेत्र में भंवर गहराई का सही अंदाजा नहीं होता। स्थानीय लोगों के मना करने के बावजूद लोग धड़ल्ले से नदी में नहाने उतर रहे हैं। शिप्रा व कोसी नदी में जगह-जगह पर्यटक नदी में गहराई वाले स्थानों पर नहाते देखे जा सकते हैं। पुलिस प्रशासन के कई बार अभियान चलाए जाने के बावजूद लोग अपनी जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैंः पूर्व ग्राम प्रधान पूरन लाल साह, कुबेर सिंह जीना, हरीश चंद्र, पंकज भट्ट, वीरेंद्र सिंह बिष्ट, पंकज नेगी, हरीश कुमार, विजय रौतेला, मदन सिंह, दलीप सिंह नेगी, मनोज पडलिया, महेन्द्र कनवाल, अंकित सुयाल आदि लोगों ने नदी क्षेत्रों में गहराई व भंवर वाले स्थानों पर सख्ती से आवाजाही प्रतिबंधित किए जाने की मांग प्रशासन से की है ताकि किसी भी घटना को टाला जा सके।