= पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा विभाग का हाल अजब गजब
= जीआईसी खैरना अस्थाई प्रधानाचार्य के हवाले
= कई महत्वपूर्ण प्रवक्ताओं व अध्यापकों के पद रिक्त
= शिक्षा विभाग के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में क्षेत्रवासी

(((मदन सिंह/विजय रौतेला/ दलिप सिंह नेगी/भरत बोहरा की रिपोर्ट)))

तमाम गांवों के मध्य में स्थित जीआइसी खैरना में शिक्षा विभाग के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। आलम यह है कि छह वर्ष बाद भी विद्यालय को स्थाई प्रधानाचार्य नहीं मिल सका है। वहीं तमाम विषयों के प्रवक्ताओं व गुरुजनों के पद रिक्त होने से नौनिहालों का भविष्य अंधकार में बना हुआ है। क्षेत्रवासियों ने अब शिक्षा विभाग के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है। आरोप लगाए कि शिक्षा विभाग क्षेत्र की उपेक्षा पर आमादा है जिसे अब कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर खैरना क्षेत्र में स्थित जीआइसी में लगभग 227 नौनिहाल अध्ययनरत है। कई बार क्षेत्रवासी विद्यालय में रिक्त पदों पर तैनाती की मांग उठा चुके हैं पर कोई सुनवाई नहीं हो रही। विद्यालय में रसायन विज्ञान, गणित, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र के प्रवक्ताओं के पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं। नौनिहालों का भविष्य गेस्ट टीचरों के भरोसे है। एलटी में भी गणित, अंग्रेजी, सामान्य विज्ञान के पद रिक्त हैं। हालात यह है कि वर्ष 2016 से विद्यालय को स्थाई प्रधानाचार्य तक नहीं मिल सका है। बामुश्किल प्रभारी प्रधानाचार्य के भरोसे व्यवस्था सुचारू की जा रही है। सुनवाई ना होने से नाराज लोगों का पारा भी चढ़ते जा रहा है। अभिभावक संघ अध्यक्ष राकेश जलाल, पूरन लाल साह, मदन सिंह, नंदन सिंह बिष्ट, विक्रम सिंह, मनोज नैनवाल, भैरव नैनवाल, देवेश कांडपाल, गंगा सिंह, रघुराज सिंह, आदि ने विद्यालय में प्रवक्ताओं अन्य रिक्त पड़े शिक्षकों के पद पर तत्काल तैनाती की मांग उठाई है। चेताया है कि यदि उपेक्षा की गई तो फिर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया जाएगा।