= रातीघाट में नहर में तब्दील जाख – बुधलाकोट नदी
= सिंचाई नहर व पेयजल योजनाओं पर भी संकट
= कई जगह भूमिगत हो चुकी सहायक नदियां
(((हरीश चंद्र/विजय रौतेला/पंकज नेगी/भरत बोहरा की रिपोर्ट)))
तापमान बढ़ने के साथ ही नदियों का जलस्तर घट गया है। उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी का बहाव भी कम हो चुका है वही शिप्रा की कई सहायक नदियों नहर में तब्दील हो चुकी है। कई जगह नदी का पता ही नहीं चल रहा। नदी भूमिगत हो चुकी है। ऐसे में तमाम सिंचाई व पेयजल योजनाओं पर भी संकट गहराने की आशंका बढ़ गई है।
बीते अक्टूबर में हुई मूसलाधार बारिश के बाद उफान में आई उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी का नक्शा ही बदल चुका है। अपने मूल स्वरूप में बहने वाली शिप्रा का स्वरूप ही बदल गया है। शिप्रा की सहायक जाख – बुधलाकोट नदी कई जगह भूमिगत हो चुकी है। तो कई जगह नहर में तब्दील हो गई है वहीं रामगढ़ नदी का जलस्तर भी घट चुका है। आसपास की सहायक नदियों में पानी घटने से उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी का बहाव भी कम हो चुका है वही तमाम नदियों के नदी के सूखने में पानी कम होने से सिंचाई व पेयजल योजनाओं पर भी खतरा मंडराने लगा है। उत्तरवाहिनी शिप्रा आगे जाकर कोसी नदी में मिलती है जहां कई सिंचाई पंपिंग व पेयजल पंपिंग योजनाएं हैं कई लोग मवेशियों को भी नदी का पानी पिलाते हैं पर लगातार घट रहे पानी से तमाम संकट खड़े होने की आशंका है। नदी क्षेत्र में पानी की जगह भारी मलबा जमा है। जाख निवासी मदन सिंह, पूरन सिंह, संजय बिष्ट आदि के अनुसार अब तक नदी का ऐसा स्वरूप कभी नहीं देखा गया है। यह ऐसी स्थिति पहली बार सामने आई है।