= संरक्षण व पोषण के लिए गोद लिए गए पौधे
= पौधे रोपकर किया गौरा देवी को याद

(((सुनील मेहरा/पंकज नेगी/हरीश कुमार की रिपोर्ट)))

चिपको आंदोलन की 49वीं वर्षगांठ पर टूनाकोट गांव में स्थित विद्यालय परिसर में पौधरोपण किया गया। वक्ताओं ने चिपको आंदोलन शुरू करने वाली गौरा देवी के जीवन पर प्रकाश डाला।
शनिवार को प्राथमिक विद्यालय के परिसर में विद्यालय की शिक्षिका प्रणिता साह, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुनीता मेहरा तथा समाजसेवी सुनील मेहरा ने नौनिहालो को साथ लेकर विद्यालय परिसर में देवदार, पीपल, नीम, मोरपंखी के पौधे रौपे। पौधों के संरक्षण व पोषण के लिए एक-एक पौधा गोद लिया गया। विद्यालय की शिक्षिका प्रणिता साह ने चिपको आंदोलन शुरू करने वाली गौरा देवी के बारे में विस्तार से नौनिहालों को जानकारी दी। बताया कि 49 वर्ष पहले जंगलों को बचाने के लिए गौरा देवी नाम की महिला पेड़ों से लिपट गई थी जिसे चिपको आंदोलन का नाम दिया गया। समाजसेवी सुनील मेहरा ने कहा कि वृक्ष ही जीवन का आधार है। पर्यावरण संतुलित करने में पौधों का बड़ा योगदान है। बाद में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए। विभिन्न प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन करने वाले नौनिहालों को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया गया।